भिंडी की सब्जी | मुल्ला नसरुद्दीन की हाजिरजवाबी का एक मज़ेदार किस्सा |

 


मुल्ला नसरुद्दीन की हाजिरजवाबी और चतुराई के सभी कायल थे। ऐसे ही एक दिन मुल्ला नसरुद्दीन ने सुल्तान को एक ऐसा जवाब दिया कि सुल्तान का गुस्सा हंसी में बदल गया। पढ़िए एक मज़ेदार और रोचक Small Story In Hindi भिंडी की सब्जी -मुल्ला नसरुद्दीन की हाजिरजवाबी 

 Small Story In Hindi भिंडी की सब्जी 

 मुल्ला नसरुद्दीन की हाजिरजवाबी का एक मज़ेदार किस्सा

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एक बार मुल्ला नसरुद्दीन सुल्तान के पास बैठे थे। सुल्तान के दोपहर के भोजन का समय हो गया। शाही रसोइया बादशाह के पास बहुत से सेवकों के साथ उपस्थित हुआ,जो बादशाह के लिए बहुत से पकवान, तरह तरह की सब्जियां,और भी बहुत से खाद्य पदार्थ और मिठाइयां लेकर आए थे।

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बादशाह का स्वादिष्ट भोजन

शाही रसोइये ने सब कुछ बादशाह के आगे परोस दिया। बादशाह ने खाना शुरू किया। बादशाह एक एक करके सभी सब्जियां चख रहे थे और फिर भिंडी की बारी आई। जब बादशाह ने भिंडी खाई तो वह उनको बहुत ज्यादा स्वादिष्ट लगी।

उन्होंने ज्यादातर भोजन भिंडी की सब्जी के साथ ही किया। बादशाह ने जब भिंडी की सब्जी की तारीफ की, और मुल्ला नसरुद्दीन ने यह भी देखा कि बादशाह भिंडी की सब्जी बड़े शौक से खा रहे हैं तो मुल्ला नसरुद्दीन समझ गए कि बादशाह को यह सब्जी बहुत पसंद आई है।

मुल्ला ने की भिंडी की तारीफ

बस फिर क्या था, बादशाह को खुश करने के लिए मुल्ला नसरुद्दीन ने भिंडी की तारीफ करनी शुरू कर दी। वें बोले - अरे बादशाह सलामत, भिंडी की सब्जी के बारे में अब मैं क्या कहूं। इसकी जितनी तारीफ की जाए, वो कम है। भिंडी तो सब सब्जियों की रानी है। इसका स्वाद ही बेमिसाल नहीं है बल्कि यह तो गुणों की खान है खान। इसको खाने वाला सालों साल तक जवान बना रहता है। कोई बीमारी उसके पास नहीं फटकती। शरीर में ताकत बनी रहती है।

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ऐसे ही और भी अनगिनत फायदे मुल्ला नसरुद्दीन ने भिंडी के गिनवा दिए। बादशाह उसकी हर बात पर हैरानी दिखा कर अच्छा! अच्छा! बोल रहे थे और वाह वाह कर रहे थे। शाही रसोइया भी वहीं खड़ा हुआ सारी बात सुन रहा था। उसने यह बात गांठ बांध ली कि जब बादशाह को भिंडी इतनी अधिक पसंद है, साथ ही साथ यह अनेक गुणों से भरपूर है तो अब रोज मैं बादशाह को भिंडी की सब्जी ज़रूर ही बनाकर खिलाऊंगा। इस तरह बादशाह अपनी पसंदीदा सब्जी खा कर खुश रहेंगे और मुझे ईनाम भी देंगे।

रोज बनी भिंडी की सब्जी

बस फिर क्या था, बादशाह की थाली में भिंडी की सब्जी रोज़ आने लगी, चाहे वह किसी भी समय का भोजन हो। शुरू के कुछ दिन तो बादशाह ने भिंडी का खूब आनंद लिया। फिर धीरे धीरे उन्होंने भिंडी खाना कम कर दिया।
रोज रोज भिंडी की सब्जी खा कर अब वे भिंडी से बुरी तरह से ऊब चुके थे। लेकिन फिर भी थाली में भिंडी परोसी जाती रही।

बादशाह को आया गुस्सा

हालत यह हो गई कि अब उन्हें भिंडी से नफ़रत हो गई। फिर एक दिन यूं हुआ कि बादशाह ने गुस्से में अपनी थाली में से भिंडी निकाल कर बाहर रख दी और शाही रसोइये पर चिल्लाते हुए बोले- रोज़ रोज़ भिंडी कौन खा सकता है? क्या तुम्हें यह बात समझ नहीं आती? संयोग से उस समय भी मुल्ला नसरुद्दीन वहीं सुल्तान के पास ही बैठे थे।

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रसोइये को पड़ा तमाचा

मुल्ला नसरुद्दीन ने बादशाह के गुस्से को भांपकर एक ज़ोर का झन्नाटेदार थप्पड़ रसोइये के गाल पर दे मारा। थप्पड़ इतना तेज़ लगा कि रसोइया उल्टी पलटी खाता हुआ दूर जाकर गिरा। अब वो एक हाथ से अपने गाल को सहला रहा था और हैरान-परेशान मुल्ला नसरुद्दीन की ओर देख रहा था।

मुल्ला ने बदला पैंतरा

अब मुल्ला नसरुद्दीन ने रसोइये को भिंडी की सब्जी को लेकर खरी खोटी सुनानी शुरू कर दी। मुल्ला बोले - कैसे मूर्ख रसोइये हो तुम। तुम्हें पता होना चाहिए कि भिंडी की सब्जी से बुरी सब्जी और कोई हो ही नहीं सकती। ना कोई गुण, ना रूप ना रंग और न ही कोई स्वाद। इतनी बेस्वाद इतनी बेकार सब्जी कोई कैसे खा सकता है?

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और भी बहुत खरी खोटी बातें मुल्ला नसरुद्दीन ने भिंडी की सब्जी के बारे में कही। मुल्ला की इस अप्रत्याशित प्रतिक्रिया से बादशाह और रसोइया, दोनों ही हैरान-परेशान थे। जो इंसान कुछ दिन पहले भिंडी की तारीफ करते नहीं थक रहा था, आज उसी को इस सब्जी में इतनी बुराईयां नज़र आ रही हैं। रसोइया तो केवल मन में ही यह बात सोच रहा था, चूंकि मुल्ला नसरुद्दीन बादशाह के बहुत खास थे तो वह उनसे कुछ पूछने की हिम्मत नहीं कर सका।


लेकिन बादशाह ने मुल्ला से पूछ ही लिया - एक बात बताइए मुल्ला, मैं तो रोज रोज भिंडी की सब्जी खाते तंग आ चुका हूं, इसीलिए मुझे गुस्सा आया। लेकिन आपको क्या हुआ? अभी कुछ दिन पहले ही आप भिंडी की इतनी तारीफ कर रहे थे। भिंडी तो अभी भी वहीं है। फिर आपके बयान क्यों बदल गये?

मुल्ला का चतुर जबाब

इस पर मुल्ला नसरुद्दीन बड़ी ही चतुराई और हाजिरजवाबी से आंखें मटकाते हुए सुल्तान से बोले - वो क्या है कि, हम तो आपके गुलाम हैं, भिंडी के थोड़े ही हैं।
इतना सुनते ही सुल्तान का गुस्सा काफूर हो गया और वे ठहाका मारकर हंसने लगे। शाही रसोइया भी खिसियानी हंसी हंसते हुए जी हुजूर, जी हुजूर कहता हुआ वहां से खिसक गया।

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