
यह जंगल एक जादू का जंगल था। रहस्यों और रोमांच से भरपूर। छोटा भालू डुनडुन निकल पड़ा किसकी खोज में अनजान रास्ते पर? रहस्यों भरी यात्रा में कौन चलेगा उसके साथ, आइये जानते है नन्हे भालू की एक प्यारी सी Hindi story में।
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Hindi story डुनडुन भालू को मिला खज़ाना
रहस्य और रोमांच का जादुई सफर
ये Hindi story है एक छोटे प्यारे भालू की। एक बार की बात है, एक जादुई जंगल में डुनडुन नाम का एक छोटा भालू रहता था। डुनडुन बहुत शरारती, चुलबुला, मस्त मौला और प्यारा था। डुनडुन को अपने दोस्तों के साथ खेलना और इतने बड़े जंगल में नई-नई जगहों को खोजना बहुत अच्छा लगता था।

डुन -डुन को कुछ मिला है जंगल में
एक दिन की बात है, मौसम बहुत सुहावना था। मीठी-मीठी धूप निकली हुई थी और बादल भी छाए हुए थे। रोज की तरह डुनडुन अपने प्यारे जंगल में घूम रहा था। तभी दूर घास में कहीं उसे कुछ चमकता हुआ सा नजर आया। फिर चमक गायब हो गई। जैसे ही डुनडुन ने उस तरफ से ध्यान हटाया, एकदम से फिर कुछ चीज़ चमकी।
अब तो डुनडुन के मन में उत्सुकता और भी बढ़ गई कि वह क्या चीज चमक रही है। डुनडुन उस चमकदार चीज की तरफ चल पड़ा। उसे ऐसा लग रहा था जैसे कोई शक्ति उसको अपनी तरफ खींच रही है। घास बहुत लंबी और घनी थी और डुनडुन घास को दोनो हाथों से चीरता हुआ आगे बढ़ रहा था।
चमक अब भी रह-रह कर दिख रही थी मानो कह रही हो, जल्दी आओ, जल्दी आओ। जब डुनडुन वहां पहुंचा तो घास के अंदर उसे जमीन पर पड़ी एक अजीब वस्तु मिली।

बहुत पास से और ध्यान से देखने पर उसे पता चला कि वह एक चमकदार सुनहरी चाबी थी। डुनडुन ने पहले कभी ऐसा कुछ नहीं देखा था, इसलिए वह सोचने लगा कि यह क्या चीज हो सकती है। जैसे ही उसने चाबी अपने पंजों में पकड़ी, एक आवाज अचानक उससे बोली।
जंगल की रहस्यमई आवाज़
इस आवाज को सुनकर डुनडुन हैरान-परेशान या फिर डरा नहीं क्योंकि वह एक जादू का जंगल था और ऐसी आवाजें उस जंगल के सभी जानवरों को अक्सर आती रहती थी। जब उन्हें किसी मदद की जरूरत होती थी या जब उन्हें किसी मार्गदर्शन की जरूरत होती थी, यह आवाज हमेशा उन्हें सही-गलत के बारे में बताती थी और उनकी मुश्किलों को हल करने में उनकी मदद करती थी।
डुन -डुन चला एक साहसिक यात्रा पर
"चल पड़ो उस तरफ,ये चाबी चमके जिस तरफ।"
एक साहसिक कार्य पर जाने की सोच से उत्साहित डुनडुन बेसब्री से खजाने को खोजने के लिए तैयार हो गया। आवाज ने उसे बताया था कि खजाने तक पहुंचने के लिए उसे चाबी की चमक दिशा बताएगी और उसे दो पहेलियों को भी की हल करना होगा। डुनडुन ने इसे खोजने के लिए पक्का मन बना लिया।
डुनडुन ने उस चाबी को हर दिशा की तरफ घुमा कर देखा। जब उसने उस चाबी को उत्तर दिशा की तरफ किया तो वह चमकने लगी। इसका मतलब डुनडुन को उत्तर दिशा की तरफ बढ़ना था। डुनडुन ने उत्तर दिशा की तरफ बढ़ना शुरू किया। तभी डुनडुन ने सुना,
पहली पहेली
"तुम्हें ढूंढना है ऐसा पेड़,लटक रहें हो जिस पर,आम, सेब, केले और बेर।"
यह तो बड़ी हैरानी वाली बात थी कि ऐसा पेड़ जिस पर ये सभी फल लगे हो।खैर कोई बात नहीं। डुनडुन ने सोचा और आगे बढ़ता गया।"आसान नहीं है ये खेल,जरा हिम्मत से खेलो,रास्ते में जो भी मिले, उससे मदद ले लो।"
डुन -डुन को मिला सफर का साथी
थोड़ी आगे जाने पर डुनडुन को एक हाथी मिला। हाथी अपनी मस्ती में चल रहा था और पेड़ों से फल तोड़कर खा रहा था। डुनडुन ने हाथी से पूछा कि क्या उसने जंगल में ऐसा पेड़ देखा है जिस पर अलग-अलग तरह के बहुत सारे फल एक साथ लगते हैं?

हाथी मुस्कुराया और बोला," हां भाई, पता तो है और मैं तुम्हें बता भी सकता हूं। लेकिन मेरी एक शर्त है। जहां तक मेरी सूंड़ जाती है, वहां तक के फल तो मैं तोड़ कर खा सकता हूं। लेकिन ऊपर की टहनियों के फल बहुत रसीले हैं, और मेरी सूंड़ वहां तक नहीं जाती। अगर तुम मुझे वह तोड़ कर ला कर दोगे, तो मैं तुम्हें उस पेड़ का पता बता सकता हूं।"
डुनडुन मान गया, तब हाथी ने उसे अपने साथ चलने को कहा। उस जादू भरे जंगल के अजीबोगरीब रास्तों से होकर वे दोनों एक सुरंग के सामने पहुंचे। दरअसल वह सुरंग पेड़ों के द्वारा बनाई गई एक सुरंग थी। सड़क के दोनों तरफ के पेड़ बीच की ओर कुछ इस तरह से झुक गए थे कि वह आपस में मिल गए थे और वे पेड़ इतने घने थे कि उनके झुकने पर एक सुरंग बन गई थी। उस सुरंग में घना अंधेरा था।
हाथी ने डुनडुन को बताया कि उन्हें इस सुरंग को पार करना पड़ेगा, तभी वे उस पेड़ तक पहुंच पाएंगे। लेकिन सुरंग में इतना अंधेरा था कि हाथ को हाथ भी सुझाई नहीं दे रहा था। हाथी उसके मन की बात भांप गया और बोला," डरो मत डुनडुन, तुम मेरी सूंड पकड़ लो और मेरे साथ-साथ चलो। मैं तुम्हें सुरंग पार करवा दूंगा।

मिल गया पहली पहेली का जवाब
जैसे ही दोनों सुरंग के दूसरे छोर पर निकले, डुनडुन वहां का दृश्य देखकर बहुत हैरान रह गया। इतना सुंदर दृश्य उसने कभी नहीं देखा था। चारों तरफ सतरंगी रोशनी फैली थी। वहां पर ऐसे-ऐसे फूल खिले हुए थे कि डुनडुन ने पहले कभी नहीं देखे थे। हवा में बहुत अच्छी खुशबू थी। तितलियां उड़ रही थी, हल्की हल्की हवा चल रही थी। सब कुछ बहुत ही सुंदर था, मानो वो कोई परीलोक हो।
अब डुनडुन ने हाथी से पूछा, "कहां है वह पेड़?" हाथी ने दूर एक पेड़ की तरफ इशारा किया। दोनों उस तरफ चल पड़े। जब डुनडुन पेड़ के पास पहुंचा तो वह और भी ज्यादा हैरान हो गया क्योंकि उस पेड़ पर सभी तरह के फल लगे हुए थे। और उस पेड़ के पत्ते उन सभी फलों के पत्तो की तरह मिले-जुले थे। डुनडुन और हाथी, दोनों ने पेट भर के बहुत से फल खाए।

"यहां की सुंदरता में मत जाओ खो, क्योंकि अभी ढूंढनी है चाबी नंबर दो।"
यह आवाज सुनकर डुनडुन को याद आया कि वह किस काम के लिए निकला है। अब उसे दूसरी चाबी ढूंढनी थी। वह सोचने लगा कि पहली चाबी उसे कैसे मिली थी? फिर उसे याद आया कि वह चाबी दूर से अपने आप चमक रही थी। इसका मतलब दूसरी चाबी भी अपनी चमक से अपने होने का पता स्वयं ही बता देगी।
अब डुनडुन इधर-उधर दौड़ कर बहुत बारीकी से चमक को ढूंढने लगा। तभी उसने देखा कि जिस पेड़ पर बहुत से फल लगे थे, उसकी जड़ के पास एक जगह की मिट्टी थोड़ी-थोड़ी देर में चमक रही थी। इसका मतलब है चाबी उस मिट्टी के नीचे दबी थी। डुनडुन ने एक छोटी लकड़ी की मदद से उस जगह की मिट्टी को खोदा तो थोड़ी सी मिट्टी हटाने के बाद उसे एक चाबी मिल गई।
जब डुनडुन ने हाथी को सारी बात बताई तो हाथी भी उसके साथ चलने को तैयार हो गया, लेकिन अब वे दोनों सोच रहे थे कि अगली पहेली क्या है। तभी वही आवाज आई।
दूसरी पहेली
अब अगली पहेली उन दोनों को मिल चुकी थी डुनडुन ने दोनों चाबियों को हर दिशा में घुमाया। जैसे ही चाबियों का मुंह दक्षिण की तरफ हुआ, वे चमकने लगी। इसका मतलब अब उन्हें दक्षिण की तरफ जाना था।
सफर का दूसरा साथी
अब वो दोनों दक्षिण की तरफ बढ़ चले। चलते-चलते डुनडुन के ऊपर किसी ने अखरोट का छिलका फेंका। अरे, यह क्या। हाथी के ऊपर भी दो-तीन छिलके गिरे। जब दोनों ने रुक कर देखा तो एक नन्ही गिलहरी पेड़ की डाल पर बैठी अखरोट खा रही थी और छिलके उन दोनों के ऊपर फेंक रही थी।
उन्हें अपनी ओर देखता पा गिलहरी जोर-जोर से हंसने लगी और उछलकर नीचे उतर आई। उनके सामने खड़ी होकर बोली, "कहीं चोट तो नहीं लगी तुम दोनों को?"
हाथी को उस पर गुस्सा आ गया। वह उसको पकड़ने दौड़ा तो गिलहरी फुर्ती से एक पेड़ पर चढ़ गई और उन्हें फिर से चिढ़ा कर हंसने लगी। लेकिन डुनडुन को उस जादुई आवाज की बात याद आ गई कि रास्ते में जो भी मिले उससे हमें मदद लेनी है। इसलिए उसने हाथी को शांत किया और गिलहरी से विनम्र शब्दों में बोला, "नन्ही गिलहरी, हमारे पास आओ। तुम्हें हमसे कोई खतरा नहीं। हम तुम्हारे दोस्त हैं। क्या तुम हमारी दोस्त बनोगी और हमारी मदद करोगी?"

"हुंह! मैं क्यों बनूं तुम्हारी दोस्त, और तुम मुझे क्यों दोस्त बनाने लगे? तुम्हें मुझसे क्या मदद चाहिए? भला मैं छोटी सी गिलहरी तुम्हारी क्या मदद कर सकती हूं? मैं सब जानती हूं, यह मुझे पकड़ने की एक चाल है बस।" तुनक कर गिलहरी ने कहा।
इस पर डुनडुन प्यार से बोला, "नहीं नन्ही गिलहरी, हम तुम्हें कोई नुकसान नहीं पहुंचाएंगे। दरअसल हमें एक पहेली हल करने के लिए तुम्हारी मदद की आवश्यकता है।"गिलहरी बोली, "अच्छा तो बताओ क्या है पहेली।"
क्या मिलेगा दूसरी पहेली का जवाब
अब गिलहरी सोचने लगी कि इन लोगों को उलटी दिशा में बहते हुए झरने के बारे में मालूम है। इसका मतलब यह है कि ये दोनो सच में मेरी मदद चाहते हैं। यह सुनकर गिलहरी नीचे उतर आई और बोली, "सच-सच बताओ, इस झरने के बारे में तुम्हें कैसे मालूम है? यह झरना तो बहुत दूर है और कोई भी उसके बारे में नहीं जानता।" तब डुनडुन ने उसको सारी बात बताई।
तब गिलहरी बोली, "देखो, मैंने वह झरना खुद भी कभी नहीं देखा। मुझे मेरी दादी ने उसके बारे में बताया था। उन्होंने मुझे बताया था कि यह झरना जंगल के दक्षिणी छोर पर है। यह एक ऐसा अकेला इस दुनिया का झरना है जो निचाई से ऊंचाई की तरफ बहता है। हां, मुझे रास्ते के कुछ चिन्ह जरूर मालूम है और मैं वहां तुम्हें ले कर जा सकती हूं।
और अब वो तीनों एक साथ झरने की तरफ चल पड़े। जंगल के बहुत से अजीबो-गरीब रास्तों से गुजरते हुए ऐसी जगह पर पहुंचे, जहां पर चारों तरफ दूर-दूर तक सफेद बर्फ की चादर फैली थी। पशु-पक्षी भी कोई नजर नहीं आ रहे थे, बस कड़कड़ाती ठंड थी। बर्फ में चलते हुए उनके पांव गहरे धंस रहे थे।
फिर भी तीनों आगे बढ़ते रहें। अब उनके कानों में पानी के बहने की आवाज आने लगी थी। इसका मतलब झरना कहीं आस-पास ही था। और थोड़ी देर आगे जाने पर उन्हें झरना नजर आ भी गया। लेकिन यह क्या, झरने का पानी उलटी दिशा में बह रहा था, यानी कि नीचे से ऊपर की तरफ बह रहा था।
यह देख कर तीनों बहुत हैरान थे और खुश भी थे कि दूसरी पहेली भी हल हो गई। तीनों ने झरने का पानी पिया तो उन्हें ऐसा लगा जैसे यह पानी नहीं कोई अमृत हो, जिससे उनकी सारी थकान दूर हो गई।

कौन लाया तीसरी चाबी
अब बारी थी चाबी ढूंढने की। डुनडुन यहां-वहां चाबी ढूंढने लगा। लेकिन बहुत देर तक भी कहीं पर भी कोई चीज चमकती हुई नजर नहीं आई। जादुई आवाज भी चुप थी। डुनडुन सोचने लगा कि क्या मेरा यहां तक आना बेकार गया? वह निराश होकर एक तरफ बैठ गया और झरने के पानी को एकटक देखने लगा।
तभी उसे बहते हुए पानी में कुछ हलचल नजर आई। उसने देखा कि मछलियों का एक झुंड पानी में इधर-उधर तैर रहा है, जैसे वे आपस में खेल रहीं हो। तभी एक मछली तैरती हुई किनारे की तरफ आई और पानी में से अपना मुंह बाहर निकाल कर डुनडुन की तरफ देखने लगी। डुनडुन भी उत्सुकता से उसे देखने लगा। फिर वह मछली बोली," तुम्हारी एक चीज़ मेरे पास है, तुम यहीं रुको, मैं अभी आई।"यह बोलकर मछली वापस पानी में चली गई। थोड़ी देर बाद वह फिर से पानी के ऊपर आई तो उसके मुंह में कुछ था, जो थोड़ी-थोड़ी देर में चमक रहा था।

क्या होगा तीनों चाबियों से
मछली ने चाबी किनारे की तरफ उछाल दी औरत फिर वह पानी में गायब हो गई। डुनडुन ने चाबी उठाई और जैसे ही अपने हाथ में तीनों चाबियां एक साथ पकड़ी, "अरे, ये क्या हो रहा है, जमीन कांप क्यों रही है? " हाथी घबराकर बोला।
"और हवा कैसे इतनी तेज बहने लगी अचानक?" नन्ही गिलहरी सहम कर बोली।
अचानक बादल जोरों से कड़कने लगे। जो वातावरण अभी तक एकदम शांत और सौम्य था, वह अचानक भयानक बन गया।
"डरो नहीं मेरे प्यारे बच्चों। इतनी हिम्मतवाले हो तुम तो। बस यूं ही एक दूसरे के साथ खड़े रहो, एक भयानक तूफान है जो जल्दी ही गुजर जाएगा"
इसके बाद एक हवा का बवंडर उन तीनों के चारों तरफ तेज़-तेज़ घूमने लगा। थोड़ी देर घूमने के बाद वह धीरे-धीरे शांत हो गया और खत्म हो गया। अब उन्होंने देखा कि वहां का दृश्य बिल्कुल बदल चुका था। वह एक सुहावना, सुंदर, हरा भरा फूलों से लदा हुआ, तितलियों से पक्षियों से और सुंदर जानवरों से भरा हुआ एक जंगल था।

क्या डुन -डुन को मिलेगा खज़ाना
अब उनके सामने जमीन पर एक चट्टान पर तीनों चाबीयों के रूप वाले चिन्ह बने हुए थे। डुनडुन ने जैसे ही वह तीनों चाबियां उन चिन्हों में रखी, वहां से एक भारी पत्थर एक ओर की तरफ खिसकने लगा और जमीन में से एक बहुत बड़ा खजाना निकल कर बाहर आ गया।
यह जगमगाते रत्नों, चमकदार सिक्कों और चमकते रत्नों से भरा एक बहुत बड़ा खजाना था। वे तीनों अपने सामने के नज़ारे को देखकर अचंभित रह गये।
लेकिन जैसे ही वह कुछ खजाना लेने ही वाले थे, उसे एक बार फिर आवाज सुनाई दी।
"डुनडुन, यह खजाना तुम्हारे रखने के लिए नहीं है। यह जंगल के सभी प्राणियों के लिए है कि वे आपस में बांटे और आनंद लें। इसे बुद्धिमानी से उपयोग करें और याद रखें कि सच्चा खजाना आपके द्वारा जीवन के रास्ते में की गई दोस्ती ही है।"
डुनडुन ने संदेश को समझा और अपने सभी दोस्तों के साथ खजाना साझा करने का फैसला किया। उस दिन से, जंगल हँसी और खुशी से भर गया, और डुनडुन को जंगल के सभी प्राणियों से प्यार और सम्मान मिला।
शिक्षा
और इसलिए, डुनडुन ने सीखा कि कभी-कभी, सबसे बड़ा खजाना कोई ऐसी चीज नहीं है जिसे आप अपने पंजों में पकड़ सकते हैं, बल्कि वे यादें और दोस्ती हैं जो आप जीवन में बनाते हैं।
तो बच्चों कैसी लगी आपको हमारी कहानी कमेंट में कमेंट लिखकर जरूर बताएं।
WRITTEN BY - PUJA NANDA
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