
हर इंसान के भीतर एक सपना पलता है — कुछ बनने का, कुछ कर दिखाने का, एक बेहतर जीवन जीने का। लेकिन क्या केवल सपने देखना ही काफी होता है? या फिर उन सपनों को साकार करने के लिए मेहनत की ज़रूरत होती है?
इस story hindi में हम एक ऐसे व्यक्ति मस्तराम की कथा जानेंगे जो कल्पना में तो महल खड़ा कर लेता है, लेकिन वास्तविकता में एक कदम भी आगे नहीं बढ़ता। यह कहानी न केवल मनोरंजन करती है, बल्कि हमें एक गहरी सीख भी देती है।
मस्तराम के सपने - एक आलसी का आकाशमहल
एक प्रेरणादायक Story Hindi
बहुत समय पहले की बात है, एक गांव में एक व्यक्ति मस्तराम रहता था। वह न तो किसी काम में रुचि लेता था, न ही मेहनत करने की इच्छा रखता था। आलस्य उसकी आदत बन चुकी थी। वह दिनभर केवल आराम करता और भोजन के लिए दूसरों पर निर्भर रहता। इधर-उधर से मांगकर जैसे-तैसे अपना गुज़ारा करता था, लेकिन उसके मन के भीतर एक सपना पलता था — अमीर बनने का सपना।

मस्तराम अक्सर सोचता, - काश। बिना मेहनत के ही मैं अमीर बन जाऊं। मेरे पास ढेर सारा धन हो, सुंदर घर हो, और नौकर-चाकर हों। परंतु उसके सपनों और हकीकत के बीच एक बहुत बड़ी खाई थी — मेहनत की कमी।
एक उम्मीद की किरण
एक दिन सुबह-सुबह मस्तराम गांव के हर घर से कुछ न कुछ मांगते हुए एक घर के बाहर पहुँचा। संयोग से उस दिन उस घर की गृहणी ने एक घड़ा भर दूध दान देने का सोचा था। सो उसने वह दूध से भरा घड़ा मस्तराम को ही दे दिया। ताजा दूध पाकर मस्तराम बहुत खुश हुआ। उसे ऐसा लगा जैसे कोई खजाना मिल गया हो।

वह खुशी-खुशी दूध का घड़ा लेकर अपने झोपड़े में गया। पहले उसने दूध को उबाला और थोड़ा सा पीकर अपनी भूख मिटाई। फिर अपने पड़ोसी से एक चम्मच भर दही मांग कर लाया। बचा हुआ दूध एक साफ बर्तन में डालकर उसमें थोड़ी सी दही मिला दी ताकि सुबह तक दही जम जाए।
शुरू हुई सपनों की उड़ान
दही का बर्तन रखकर वह बिस्तर पर लेट गया। आंखें बंद की और उसकी कल्पना का घोड़ा दौड़ने लगा।
सुबह तक जब दही जम जाएगी, तो मैं उसे मथकर मक्खन निकालूंगा। मक्खन को गरम करूंगा और उससे शुद्ध घी बनाऊंगा। फिर उस घी को बाजार में बेचूंगा और अच्छी खासी कमाई करूंगा। फिर उस पैसे से मैं एक मुर्गी खरीदूंगा...।

कल्पनाओं का सिलसिला यहीं नहीं रुका। वह सोचने लगा — मुर्गी अंडे देगी। फिर उन अंडों से कई मुर्गे-मुर्गियां पैदा होंगे। कुछ ही महीनों में मेरे पास पूरा पोल्ट्री फार्म होगा। फिर मैं उन्हें बेचकर गाय-भैंस खरीदूंगा और एक बड़ी डेयरी खोलूंगा। मेरा नाम होगा, लोग मुझे सम्मान देंगे।
फिर मैं किसी अमीर घर की सुंदर लड़की से शादी करूंगा। हमारा एक प्यारा बेटा होगा। अगर वह शरारत करेगा तो मैं उसे सबक सिखाऊंगा — ऐसे!

यहीं पर उसने बिस्तर के पास रखा डंडा उठाया और हवा में झटके से मारने का अभिनय किया — लेकिन यह क्या! डंडा सीधे दही के बर्तन से जा टकराया, बर्तन उलट गया और सारा दूध ज़मीन पर बह गया।
नींद टूटी, सपना टूटा
बर्तन की आवाज़ से उसकी नींद टूट गई। वह घबरा कर उठा, और जब उसकी नजर फैले हुए दूध पर पड़ी, तो उसका चेहरा उतर गया। वह सिर पकड़ कर बैठ गया।

ओह! सारा दूध चला गया... ना दही बनेगा, ना मक्खन, ना घी, ना मुर्गी, ना फार्म, कुछ नहीं...
अब उसे समझ आ गया था कि सिर्फ सपने देखने से कुछ हासिल नहीं होता।
Story hindi से सीख
सपने देखना गलत नहीं है, लेकिन अगर उन्हें पूरा करने के लिए मेहनत नहीं की जाए, तो वे केवल भ्रम बनकर रह जाते हैं।
कड़ी मेहनत का कोई विकल्प नहीं है। जो लोग सिर्फ योजनाएं बनाते हैं, लेकिन उन्हें अमल में नहीं लाते, वे अक्सर खाली हाथ रह जाते हैं।
क्योंकि...