एक जंगल में था एक नीम का पेड़। बहुत सुन्दर और हरा-भरा। उसकी चमकदार हरी-हरी पत्तियां धूप पड़ने पर यूं चमकती मानो हरे रंग का सोना। लेकिन था वो घमंड से भरा हुआ। क्या उस घमंडी पेड़ का घमंड किसी ने तोड़ा? आइए पढ़ते हैं Hindi story नीम का घमंड।
Hindi story नीम का घमंड - जंगल की कहानी
एक बहुत ही घना जंगल था। उस जंगल में एक से बढ़कर एक बड़े-बड़े विभिन्न प्रकार के पेड़ थे, जिन पर अनेक पक्षियों के घोंसले थे। वहीं एक आम और एक नीम का पेड़ भी साथ-साथ खड़े थे।
कैसा था नीम का पेड़ ?
नीम का पेड़ बहुत ही घमंडी था। कोई भी पक्षी उसकी डाल पर आ कर बैठे, यह उसे बिल्कुल भी पसंद नहीं था। उसके रूखे व्बायवहार के कारण कोई भी पक्षी उसकी डाल पर घोंसला नहीं बनाना चाहता था। अगर फिर भी कभी कोई भूला-भटका पक्षी उसकी डाल पर आ बैठता या घोंसला बनाने की सोचता तो वह डरा कर उसे भगा देता।
कैसा था आम का पेड़ ?
इसके विपरीत आम का पेड़ बहुत ही नम्र और उदार था। उसकी डाल पर अनेक पक्षी आ कर बैठते, फुदकते और खेलते थे। उसके मीठे-मीठे आमों को खाते। वह उन सब से बहुत स्नेहवत व्यवहार करता था।
कौन आया नीम के पेड़ के पास ?
क्या कहा नीम के पेड़ ने ?
अब जैसा कि नीम को कोई परेशान करे, यह तो उसको बिल्कुल भी पसंद नहीं था। तो अहंकार के कारण नीम ने रानी मधुमक्खी से गुस्से में कहा- हटो यहाँ से, जाकर कहीं और अपना छत्ता बना लो। मुझे परेशान मत करो।
नीम के पेड़ की बात सुन कर पास ही खड़े आम के पेड़ ने कहा- नीम भाई, बना लेने दो छत्ता। ये तुम्हारी शाखाओं में सुरक्षित रहेंगी।
नीम ने आम से कहा- तुम अपना काम करो, इतनी ही चिन्ता है तो तुम ही अपनी शाखा पर छत्ता बनाने के लिए क्यों नहीं कह देते?
अब किसने की मदद ?
इस बात से आम के पेड़ ने मधुमक्खी रानी से कहा- हे रानी मक्खी, अगर तुम चाहो तो तुम मेरी शाखा पर अपना छत्ता बना लो।
इस पर रानी मधुमक्खी ने आम के पेड़ का आभार व्यक्त किया और अपना छत्ता आम के पेड़ पर बना लिया।
आ गई मुसीबत
समय बीतता गया और कुछ दिनों बाद जंगल में कुछ लकडहारे आए। उन लोग को आम का पेड़ दिखाई दिया। उन्होंने उस आम के पेड़ को काट कर लकड़ियां ले जाने का निश्चय किया।
अब वे लोग अपने औजार लेकर आम के पेड़ को काटने चले, तभी एक व्यक्ति ने ऊपर की ओर देखा तो उसने दूसरे से कहा- अरे भाई, इस पेड़ को मत काटो। इस पेड़ पर तो मधुमक्खी का छत्ता है, कहीं ये उड़ गई तो हमारा बचना मुश्किल हो जायेगा।
अब लकड़ियों के लिए कोई तो पेड़ काटना ही था। उन सब ने इधर उधर नज़र दौड़ाई तो वहीं घमंडी नीम का पेड़ उन्हें लकड़ियां काटने के लिहाज से सही लगा। इसमें हमें ज्यादा लकड़ियां भी मिल जायेगी और हमें कोई खतरा भी नहीं होगा।
वे लोग मिल कर नीम के पेड़ को काटने लगे। नीम का पेड़ दर्द के कारण जोर-जोर से चिल्लाने लगा, बचाओ-बचाओ-बचाओ…
किसने की नीम के पेड़ की मदद?
आम के पेड़ ने रानी मधुमक्खी से कहा- हमें नीम के प्राण बचाने चाहिए… आम के पेड़ ने जब रानी मधुमक्खी से नीम के पेड़ के प्राण बचाने का आग्रह किया तो रानी मधुमक्खी ने अपने पूरे समूह को उन लोगों पर हमला करने का आदेश दे दिया।
रानी मधुमक्खी के आदेश पर सभी मधुमक्खीयों ने एक साथ उन पेड़ काटने वालों पर हमला कर दिया और उन सबको डंक मार-मारकर उनका बुरा हाल कर दिया। वे लोग अपनी जान बचा कर जंगल से बिना लकड़ियां काटे ही भाग गए।
नीम के पेड़ को आई अक्ल
नीम के पेड़ ने मधुमक्खीयों को धन्यवाद दिया और अपने आचरण के लिए क्षमा मांगी।
तब मधुमक्खीयों ने कहा- धन्यवाद हमें नहीं, आम के पेड़ को दो जिन्होंने आपकी जान बचाई है, क्योंकि हमें तो इन्होंने कहा था कि अगर कोई बुरा करता है तो इसका मतलब यह नहीं है कि हम भी वैसा ही करें।
सुधर गया नीम का पेड़
अब नीम के पेड़ को अपने किये पर पछतावा हो रहा था और उसका अहंकार भी टूट चुका था। नीम के पेड़ को उसके अहंकार की सजा भी मिल चुकी थी। उसने अपना व्यवहार अब पूरी तरह बदल लिया था। उसकी शाखाएं भी अब सभी पक्षियों के कोलाहल से भरीं रहती थी और कुछ पक्षियों ने तो उन पर अपने घोंसले भी बना लिए थे।
शिक्षा
इस Hindi story नीम का घमंड से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें कभी अहंकार नहीं करना चाहिए।जितना हो सके,लोगों के काम ही आना चाहिए,जिससे वक्त पड़ने पर तुम भी किसी से मदद मांग सको।जब हम किसी की मदद करेंगे तब ही कोई हमारी भी मदद करेगा।
COMPILED BY - PUJA NANDA
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