ईश्वर पर भरोसा-एक बच्चे की कहानी जिसे था बस ईश्वर पर भरोसा

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एक बहुत योग्य और समझदार राजा था। परंतु ऐसा कौन सा काम आ पड़ा जिसके लिए राजा को एक अबोध बालक की बलि देने के लिए तैयार होना पड़ा? क्या उस बालक की बलि दे दी गई? पढ़े एक बहुत ही सुन्दर कहानी story to hindi ईश्वर पर भरोसा


Story To Hindi ईश्वर पर भरोसा

एक बच्चे की कहानी जिसे था बस ईश्वर पर भरोसा

बहुत पहले अरुण राय नाम का एक राजा था जो कुशलपुर नामक राज्य पर राज करता था। राजा बहुत ही योग्य और अनुभवी था। राजा की प्रजा भी खुशहाल थी।


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राजा की चाहत

बस उसके जीवन में एक ही कमी थी कि उसका कोई पुत्र नहीं था। रानी एक ही बार गर्भवती हुई थी और उसने एक सुंदर पुत्री को जन्म दिया था। परंतु राजा को अपने राज्य के उत्ताराधिकारी के रूप में एक पुत्र की ईच्छा थी। वह इसी चिंता में रहता था कि इस राज्य को उत्तराधिकारी कैसे मिलेगा?


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राजा बहुत समय से पुत्र की प्राप्ति के लिए आशा लगाए बैठा था, लेकिन पुत्र की प्राप्ति नहीं हुई। अनेक पंडितों, ज्ञानियों और ज्योतिषियों को राजा-रानी की कुंडली दिखाई अनेक प्रकार के हवन, यज्ञ और पूजाएं करवाई गईं, कितने ही मंदिरों में मन्नते मांगीं गईं लेकिन राजा के घर पुत्र पैदा ना हो सका।

क्या हल निकाला ?

फिर उसके सलाहकारों ने उसे तांत्रिकों से सहयोग लेने को कहा। तांत्रिकों की तरफ से राजा को सुझाव मिला कि यदि किसी बच्चे की बलि दे दी जाए, तो राजा को पुत्र की प्राप्ति हो सकती है।


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हालांकि कुछ दरबारियों ने दबी जुबान में इसका विरोध किया कि यह काम नीति के विरुद्ध है परंतु राजदंड के डर से कोई भी स्पष्ट रूप से अपना विरोध प्रकट न कर सका।

पूरे राज्य में ढिंढोरा

अब राजा ने राज्य में ढिंढोरा पिटवा दिया कि जो अपना बच्चा बलि चढाने के लिये राजा को देगा,उसे राजा की तरफ से,बहुत सारा धन दिया जाएगा।


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उस राज्य में एक परिवार ऐसा था, जिसमें कईं बच्चे थे और गरीबी भी बहुत थी। एक ऐसा बच्चा भी था, जो कि सौतेला था, उसका नाम कपिल था। कपिल ईश्वर पर बहुत आस्था रखता था तथा सन्तों के सत्संग में अधिक समय देता था। हालांकि वह अपनी सौतेली मां को फूटी आंख न भाता था।

अंततः मिला बलि के लिए बच्चा

राजा की मुनादी सुनकर कपिल की सौतेली मां ने उसे राजा को देने का निश्चय किया। उसने कपिल के पिता को अपनी गरीबी का वास्ता देकर और दूसरे बच्चों के भविष्य का वास्ता देकर किसी तरह मना ही लिया। क्योंकि ये निकम्मा है, कुछ काम -धाम भी नहीं करता है और हमारे किसी काम का भी नहीं है। और इसे देने पर,राजा प्रसन्न होकर,हमें बहुत सारा धन देगा।


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सी ही और भी कई बातें सुनकर कपिल के पिता भी अनमने मन से मान ही गए। अंततः कपिल के माता-पिता ने उसे राजा को सौंप दिया।

बच्चे की अंतिम इच्छा

राजा ने कपिल के बदले,उसके परिवार को काफी धन दिया। अब राजा के तांत्रिकों द्वारा कपिल की बलि देने की तैयारी हो गई। राजा को भी बुला लिया गया। कपिल से पूछा गया कि तुम्हारी आखिरी इच्छा क्या है ? ये बात राजा ने कपिल से पूछी और तांत्रिकों ने भी पूछी।

क्या मांगा बच्चे ने ?

कपिल ने कहा कि,मेरे लिए रेत मँगा दी जाए, राजा की आज्ञा से रेत मंगाया गई। कपिल ने रेत से चार ढेर बनाए,एक-एक करके कपिल ने तीन रेत के ढेरों को तोड़ दिया और चौथे के सामने हाथ जोड़कर बैठ गया और उसने राजा से कहा कि अब जो करना है,आप लोग कर लें।


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यह सब देखकर तांत्रिक विस्मित रह गए और उन्होंने कपिल से पूछा पहले तुम यह बताओ कि ये तुमने क्या किया है?

बच्चे का स्पष्टीकरण

राजा ने भी यही सवाल कपिल से पूछा । तो कपिल ने कहा कि पहली ढेरी मेरे माता-पिता की थी। मेरी रक्षा करना उनका कर्त्तव्य था । परंतु उन्होंने अपने कर्त्तव्य का पालन न करके,पैसे के लिए मुझे बेच दिया,इसलिए मैंने ये ढेरी तोड़ी दी।


दूसरी ढ़ेरी,मेरे सगे-सम्बन्धियों की थी परंतु उन्होंने भी मेरे माता-पिता को नहीं समझाया।अतः मैंने दूसरी ढ़ेरी को भी तोड़ दिया।


और तीसरी ढ़ेरी,हे राजन आपकी थी क्योंकि राज्य की प्रजा की रक्षा करना राजा का ही धर्म होता है,परन्तु जब राजा ही मेरी बलि देना चाह रहा है तो ये ढेरी भी मैंने तोड़ दी।

और चौथी ढ़ेरी,हे राजन,मेरे ईश्वर की है।अब सिर्फ और सिर्फ अपने ईश्वर पर ही मुझे भरोसा है।इसलिए यह एक ढेरी मैंने छोड़ दी है।

राजा की खुली आंखें

कपिल का उत्तर सुनकर, राजा अंदर तक हिल गया। उसका मन आत्मग्लानि से भर गया। कपिल की बात ने उसकी आंखें खोल दीं कि एक राजा अपनी प्रजा के लिए पिता समान होता है। और पिता का यह कर्तव्य होता है कि अपनी संतान की रक्षा करें। और वह अपनी ही संतान के प्राण हरने जा रहा था।


राजा ने तुरंत ही कपिल की बलि देने का विचार त्याग दिया। अब राज पुरोहित ने राजा से कहा कि यह बालक कोई साधारण नहीं अपितु एक विलक्षण बालक है। फिर उन्होंने राजा से कहा कि पता नहीं, बच्चे की बलि देने के पश्चात भी पुत्र की प्राप्ति होगी भी या नहीं होगी। इसलिये क्यों न इस बच्चे को ही आप अपना पुत्र लें? इतना समझदार और ईश्वर-भक्त -बच्चा है। इससे अच्छा बच्चा और कहाँ मिलेगा ?
काफी सोच विचार के बाद राजा ने कपिल को ही अपना पुत्र बना लिया और राजकुमार घोषित कर दिया।


शिक्षा

जो व्यक्ति ईश्वर पर विश्वास रखते हैं, उनका कोई बाल भी बाँका नहीं कर सकता,यह एक अटल सत्य है। जो मनुष्य हर मुश्किल में,केवल और केवल,ईश्वर का ही आसरा रखते हैं,उनका कहीं से भी, किसी भी प्रकार का,कोई अहित नहीं हो सकता। 


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अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQ)


1. इस कहानी 'ईश्वर पर भरोसा' का मुख्य संदेश क्या है?

इस कहानी का मुख्य संदेश है कि जीवन में हमेशा ईश्वर पर भरोसा रखना चाहिए और कठिन परिस्थितियों में धैर्य और विश्वास से काम लेना चाहिए।


2. राजा ने आखिरकार उस बालक की बलि दी या नहीं?

कहानी में पता चलता है कि बालक की बलि नहीं दी गई। यह कहानी दिखाती है कि विश्वास और ईश्वर पर भरोसा रखने से कठिन परिस्थितियों का समाधान निकलता है।


3. यह कहानी बच्चों के लिए क्यों महत्वपूर्ण है?

यह कहानी बच्चों को नैतिक शिक्षा देती है, जैसे कि ईमानदारी, धैर्य, और विश्वास रखना। इसके साथ ही यह कहानी मनोरंजक और सरल भाषा में है, जो बच्चों के लिए समझना आसान बनाती है।


4. कहानी में सबसे प्रेरणादायक हिस्सा कौन सा है?
सबसे प्रेरणादायक हिस्सा तब है जब बच्चा पूरी तरह ईश्वर पर भरोसा करता है और उसकी भक्ति और विश्वास की वजह से राजा और उसके राज्य में खुशहाली आती है।

5. क्या यह कहानी केवल बच्चों के लिए है या बड़ों के लिए भी है?

यह कहानी सभी उम्र के लिए है। बच्चों के लिए यह नैतिक शिक्षा देती है और बड़ों के लिए यह विश्वास, धैर्य और सकारात्मक सोच की याद दिलाती है।



COMPILED BY -  PUJA NANDAA
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