
आखिर फिर एक बार लोमड़ी चली अंगूर खाने। क्या इस बार भी उसे असफलता मिलेगी या फिर इस बार वो प्राप्त कर लेगी अंगूर? पढ़ें एक रोचक hindi kahani -अंगूर अब खट्टे नहीं हैं।
hindi kahani -अंगूर अब खट्टे नहीं हैं।
अब अंगूर न मिलने के कारण लोमड़ी मन मसोसकर वहां से चल तो पड़ी लेकिन उस के दिल में एक फांस सी चुभने लगी। चलते चलते वह सोच रही थी कि कब तक हम लोमड़ियां बिना चखे ही अंगूरों को खट्टा कहती रहेगीं? केवल इसी कारण कि आज तक हम उन्हें प्राप्त नहीं कर पाईं?

हमने अपनी असफलता के कारण अंगूरों की गुणवत्ता पर ही प्रश्न चिन्ह लगा दिया और समाज में एक गलत संदेश पहुंचाया कि जिस काम में असफलता मिले, उसे करना ही नहीं चाहिए। और तो और बस अपनी असफलता को अस्वीकार करते हुए उस काम को ही बेकार बोलकर करना छोड़ देना चाहिए।
अंगूरों की इच्छा करना ग़लत नहीं था, परंतु उसे प्राप्त करने का तरीका यदि गलत साबित हुआ तो दूसरा रास्ता खोजना चाहिए था।

उसने कठफोड़वे को आवाज़ देकर बुलाया और कहा, - भाई, क्या तुम रसीले मीठे अंगूरों का स्वाद चखना चाहते हो?
नहीं! कठफोड़वे ने लापरवाही से उत्तर दिया। वैसे भी मैं जानता हूं कि इस जंगल में रसीले अंगूरों की बेलें कहां लगी हैं। अभी कल ही मैंने बहुत से अंगूर खाएं हैं। आज मेरी इच्छा नहीं है।
ठीक है भाई। लेकिन मेरी अंगूर खाने की बहुत इच्छा है। अंगूर बहुत ऊंचाई पर लगे हैं। मैंने बहुत प्रयास किया परन्तु मैं उन तक नहीं पहुंच पाई। तुम तो ऊंचाई तक उड़ कर अपनी नुकीली चोंच से अंगूर के गुच्छे आसानी से तोड़ सकते हो।और फिर बात केवल मेरे अंगूर खाने की नहीं है। उन अंगूरों को प्राप्त करके मैं इस संसार के सामने एक नई अवधारणा प्रस्तुत करना चाहती हूं।
नई अवधारणा? मतलब? कठफोड़वे को उत्सुकता हुई और वह निचली डाल पर आकर बैठ गया।

अच्छा फिर? कठफोड़वे ने उत्सुकता से पूछा।
तो तुम्हारी नई अवधारणा क्या है?- कठफोड़वे ने लोमड़ी से पूछा।
अच्छा। अगर ऐसी बात है तो चलो, मैं अंगूर तोड़ने में तुम्हारी मदद करता हूं। - यह कह कर कठफोड़वा लोमड़ी के साथ-साथ उड़ चला। अब दोनों उस जगह पहुंच गए, जहां पर बहुत से अंगूरों के गुच्छों से लदी बेलें थी।

लोमड़ी खुश थी कि वह अंगूर खाने में सफल रही थी। साथ ही साथ उसने यह भी सिद्ध कर दिया था कि अलग-अलग तरीके आज़मा कर अपनी मनचाही सफलता प्राप्त की जा सकती है।
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