अपनत्व - कैसे ओर भी बढ़ा भाई-भाई का प्यार

very short story in hindi
अनूप अपने छोटे भाई की मदद करने के लिए एक अनाज का बोरा उसके खेत में चुपचाप से रख आया। लेकिन फिर भी उसके खुद के बोरे उतने के उतने ही थे। अगले दिन फिर ऐसा ही हुआ। क्या कोई जादू-टोना था या फिर कुछ और? पढ़ें very short story in hindi - अपनत्व


very short story in hindi - अपनत्व

कैसे ओर भी बढ़ा भाई-भाई का प्यार


मधुकर एक बहुत सम्पन्न किसान था। गांव में पक्का मकान था। खेती के लिए बहुत बड़ी और उपजाऊ ज़मीन और बढ़िया संसाधन थे। धन की किसी प्रकार की कमी न होने के कारण वह उन्नत बीजों से खेती करता था। फसल बढ़िया होती थी तो दाम भी अच्छा मिलता था। मधुकर के दो युवा बेटे थे अनूप और सुबोध। दोनों ही पिता के साथ खेती-बाड़ी के काम में हाथ बंटाते थे।


दोनों भाईयों को थी पिता की चिंता 

मधुकर की आयु लगभग साठ-पैसठ साल की हो चली थी। इस कारण अब वह उतनी कुशलता से काम नहीं कर पाता था, जल्दी थक भी जाता था। कभी बदन दर्द तो कभी घुटनों में दर्द। इस सब को देखते हुए दोनों बेटों ने मधुकर से कहा कि वे अब खेती-बाड़ी का काम छोड़कर बस अब घर पर रह कर आराम करें। बहुत हो गई मेहनत-मशक्कत। अब आपके आराम करने के दिन हैं। खेती -बाडी़ का काम हम दोनों भाई संभाल लेंगे।

मधुकर का निर्णय 

मधुकर ने खेती -बाडी़ के सारे गुर अपने दोनों बेटों को सिखा दिए थे। दोनों कुशल और समझदार किसान बन चुके थे। साथ ही साथ वे माता-पिता की संस्कारी और आज्ञाकारी संतान थे। ऐसे में मधुकर को अपने बेटों की बात सही लगी और उसने सारा खेती-बाड़ी का काम अपने दोनों बेटों को सौंप दिया। परंतु ऐसा करने से पहले उसने एक काम और किया। वह यह कि उसने अपने बड़े से खेत को दो बराबर हिस्सों में बांट दिया।‌एक हिस्सा बड़े बेटे अनूप और दूसरा हिस्सा छोटे बेटे सुबोध को दे दिया।

very short story in hindi

दोनों भाई थे मेहनती

इसी प्रकार उसने अपनी सारी संपत्ति भी दोनों में बांट दी। अब दोनों दिन भर अपने-अपने खेतों में काम करते और सांझ ढले इकट्ठे ही लौटते। माता-पिता के साथ समय व्यतीत करते और रात को मां के हाथ का बना भोजन करके सो जाते। सुबह फिर माता-पिता का आशीर्वाद लेकर खेतों की तरफ निकल पड़ते।

कुछ समय के बाद मधुकर ने अपने बड़े बेटे अनूप का विवाह कर दिया। समय बीतने के साथ फिर दो बच्चों के साथ उसका चार लोगों का परिवार हो गया। छोटा बेटा सुबोध अभी विवाह करने का इच्छुक नहीं था।

दोनों भाइयों को है एक दूसरे की चिंता

एक दिन जब सुबोध खेत में काम कर रहा था तो उसे विचार आया कि हम दोनों भाईयों के पास बराबर की ज़मीन है और उपज भी बराबर ही होती है। लेकिन बड़े भाई का परिवार चार सदस्यों का है और मैं अकेला। इस तरह उसके परिवार का खर्च ज्यादा है। मैं अकेला हूँ और मेरी ज़रूरतें भी बहुत अधिक नहीं हैं।

अपने दिमाग में इसी विचार के साथ वह रात अपने यहाँ से अनाज का एक बोरा ले जाकर भाई के खेत में चुपचाप रखने लगा। इसी दौरान बड़े भाई अनूप ने भी सोचा, कि मेरे पास मेरा ध्यान रखने के लिए पत्नी और बच्चे हैं, लेकिन मेरे भाई का तो कोई परिवार नहीं है। अत: भविष्य में उसकी कौन देखभाल करेगा ? इसलिए मुझे उसे अधिक देना चाहिए।

दोनों भाइयों ने जानी सच्चाई

इस विचार के साथ वह हर दिन एक अनाज का बोरा लेता और अपने भाई के खेत में रख देता। यह सिलसिला बहुत दिनों तक चलता रहा, किन्तु दोनों भाई हैरान थे कि उनका अनाज कम क्यूँ नहीं हो रहा। एक दिन एक – दूसरे के खेतों में जाते समय उनकी मुलाकात हो गई। तब उन्हें पता चला कि आखिर इतने समय से क्या हो रहा था? वे ख़ुशी से एक – दूसरे को गले लगाकर रोने लगे। अब उनका प्यार और भी गहरा हो गया था।

hindi story in writing



शिक्षा

सच्चे मन से किये गये भलाई के काम में कभी अपना नुकसान नहीं होता है।

अन्य मज़ेदार और मनोरंजक हिंदी कहानियां 


*क्यों एक मासूम की जान का दुश्मन बन गया एक अमीर शेख और भेज दिया उसको एक कसाई के पास। फिर क्या हुआ, जानने के लिए पढ़े Hindi story of सुबह का भूला - लालची शेख और मासूम बच्चा 

*एक बहुत बड़ा और सुन्दर नीम का पेड़ था एक जंगल में। लेकिन वह बहुत घमंडी था। किसी भी पक्षी को अपनी दाल पर घोंसला बनाने नहीं देता था। फिर एक दिन टूटा उसका घमंड। कैसे? पढ़े एक रोचक Hindi story नीम का घमंड | जंगल की कहानी | किसने तोड़ा  नीम का घमंड? |

* बालू और मछली बहुत अच्छे मित्र थे। मछली ने बालू को एक कीमती उपहार दिया, लेकिन वह उपहार ही मछली की जान का दुश्मन बन गया।पूरी कहानी पढ़ें Fantasy story in Hindi बालू और मछली-एक मछली की सच्ची मित्रता  


*Desi Kahani में एक सेठानी की कहानी है जो हमेशा सस्ती चीज़ें ही लेती है। फिर क्या हुआ , जानने  के लिए पढ़े पूरी कहानी। Desi Kahani सस्ता रोए बार-बार - अमीर सेठानी को मिला लालच का फल


*मनसा को एक व्यापारी ने ठग लिया और एक नक़ली रत्न बेच दिया। मनसा के मित्र करमा ने सोची एक योजना। फिर क्या हुआ? जानने के लिए पढ़ें Hindi Story For Kids  सेर को सवा सेर- दो मित्रोँ  ने धोखेबाज़ व्यापारी को सिखाया सबक 


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.