कर भला तो हो भला - सींगों वाले बच्चे की कहानी

एक प्यारे बच्चे नोरो के सर पर दो सींग उगे थे। बहुत भारी और तकलीफदेह। लेकिन क्यों? क्या कोई बीमारी, कोई पिछले जन्म का कर्म या इस जन्म की कोई भूल? क्या कभी छुटकारा मिला नोरो को इन् सींगों से? आइये पढ़ते हैं एक fantasy story in Hindi

story in Hindi कर भला तो हो भला

सींगों वाले बच्चे की कहानी

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यह story in Hindi कहानी फिलीपींस देश की है। फिलीपींस देश टापुओं से मिलकर बना हुआ एक देश है जो कि चारों तरफ से समुद्र से घिरा हुआ है।
कुछ टापू तो पूरी तरह से शहरी हो गए हैं, लेकिन कुछ टापुओं पर प्रकृति का सौंदर्य बहुत अधिक नजर आता है।


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एक छोटा सा परिवार 

बात बहुत पुरानी है, ऐसे ही एक प्रकृति से घिरे हुए टापू पर एक परिवार रहता था, जिसमें कि तीन सदस्य थे। माता-पिता और उनका प्यारा बेटा नोरो।

नोरो के पिता का एक छोटा सा खेत था, जहां पर वह खेती करते थे और अपने परिवार का पालन पोषण करते थे। कुछ फल आदि भी उगाए हुए थे, जिन्हें वह बाजार में जाकर बेच देते थे और अच्छे से उनका गुजारा चल रहा था। नोरो एक बहुत ही प्यारा और आज्ञाकारी बच्चा था।

बस समस्या थी तो एक वह यह कि जब नोरो का जन्म हुआ, तो उसके सिर पर दो निशान थे। धीरे-धीरे उन निशानों में से छोटे-छोटे सींग निकल आए। अब नोरो आठ साल का हो चुका था और वह निशान पूरी तरह से दो सींगों के रूप में उभर कर आ गए थे। कहने का मतलब यह है कि नोरो के सर पर दो सींग उगे हुए थे।



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क्या ठीक नहीं होंगे सींग

पास के और दूरदराज के वैद्यो को और कई चिकित्सकों को दिखाया गया, परंतु कोई भी इसका कोई सटीक कारण नहीं बता सका। न ही इसको ठीक करने की कोई दवाई नोरो के माता-पिता को मिल सकी। वे दोनों सींग नोरो के शरीर का एक अभिन्न हिस्सा थे।

यह दो सींग नोरो को दूसरे बच्चों से बिल्कुल अलग बना देते थे। हालांकि जिस कबीले में नोरो के माता-पिता रहते थे, उस कबीले के लोग बहुत ही दयालु थे और मृदु स्वभाव के थे। कभी किसी ने नोरो को या उसके माता-पिता को नोरो के सींगों की वजह से कोई कटु वचन नहीं कहे थे, परंतु नोरो को अंदर ही अंदर यह बात खाती थी कि वह अन्य बच्चों जैसा क्यों नहीं है? क्यों उसके सर पर यह दो सींग उगे हैं?

तकलीफ देते है सींग 

जैसे-जैसे नोरो बड़ा हो रहा था, उसके सींग भी बड़े हो रहे थे और मुश्किल तो यह थी कि उन सींगो में बहुत वजन था और नोरो को यह वजन अपने सिर पर महसूस होता था। और उसके सर में कभी-कभी भयानक दर्द भी हुआ करता था।


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नोरो की माँ का ईश्वर में विश्वास

वैसे तो नोरो बहुत ही प्यारा और नटखट बच्चा था, परंतु जब भी वह अपने सींगों के बारे में सोचता तो कभी-कभी बहुत उदास हो जाता था। तब उसकी मां उसको एक ही बात समझाती थी कि बेटा ईश्वर की मर्जी के बगैर बिना कुछ भी संभव नहीं है। यह जो तुम्हारे सिर पर सींग हैं, इनके पीछे भी ईश्वर की ही अवश्य कोई माया है।अवश्य ही ईश्वर की यही मर्जी है इसीलिए तो तुम इस तरह के हो। इसलिए उदास मत हो और इसको ईश्वर की मर्जी समझकर स्वीकार करो। हो सकता है आज नहीं तो कल इन सींगों के होने का कोई उद्देश्य हमें समझ में आ जाए।


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नोरो को मिला कोई जंगल में 

नोरो अक्सर पास के जंगल में खेलने चला जाता था। उसको प्रकृति के बीच में रहना फूल पत्तियों से खेलना और जानवरों के बीच में रहना बहुत पसंद था। एक बार की बात है जब वह घर के पास के जंगल में खेल रहा था, उसको एक बहुत दर्द भरी कराहने की आवाज सुनाई दी। उसने जब आवाज की दिशा में देखा तो ऐसा लगा जैसे पत्तियों के पीछे कुछ हिल रहा है। जब वह वहां गया तो उसने देखा कि झाड़ियों के पीछे एक हिरण लेटा हुआ था। वैसे तो उसके शरीर पर कोई जख्म नहीं दिखा लेकिन वह दर्द से कराह रहा था।


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नोरो को कुछ समझ नहीं आया कि वह क्या करें, कैसे उसकी मदद करें तो फिर वह उसको उठाकर अपने घर ले गया। वहां पर उसके पिता ने वैद्य जी को बुलाया तो उन्होंने यह पता लगाया कि हिरण की टांग की हड्डी टूट गई थी। नोरो और उसके परिवार ने उस हिरण की देखभाल की और उसे तब तक अपने पास रखा, जब तक कि वह पूर्णतः स्वस्थ नहीं हो गया।



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जब वह ठीक हो गया तो नोरो उसको उसी जगह ले गया, जहां से वह उसे लाया था। हिरण ने नोरो को अपनी जीभ से उसको चाट कर उसके प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त की और फिर वह कुंचाले भरता हुआ जंगल में कहीं खो गया। और नोरो घर वापस आ गया। हिरण के जाने से नोरो के मन में एक अजीब सी खुशी और संतुष्टि थी कि वह अपने घर अपने माता-पिता के पास पहुंच गया होगा।

अरे कौन फँस गया ये पानी में 


ऐसे ही एक और दिन की बात है जब नोरो फिर से जंगल में गया। वह तालाब के किनारे बैठा था कि तभी उसको पानी में छपक -छपक की आवाज आई। जब उसने आवाज की दिशा में देखा तो पाया कि एक मछली उथले पानी की झाड़ियों में फंस गई थी। वापिस की तरफ जाती तो और बुरी तरह फंस जाती और जो वहां से निकल जाने का एक संभावित रास्ता था वहां पर एक बहुत बड़ा कांच का टुकड़ा फंसा हुआ था जिससे मछली ना आगे जा पा रही थी ना ही पीछे जा सकती थी। 


नोरो को जैसे ही सारी बात समझ में आई, उसने फटाफट से कांच का टुकड़ा हटा दिया और अपने दोनों हाथों से झाड़ियों को एक तरफ करके मछली के लिए निकलने का रास्ता बना दिया। मछली फर्राटे से तैरती हुई आगे निकल गई। मछली की मदद करके नोरो बहुत खुश हुआ।



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 नोरो हमेशा करता है मदद   

इसी तरह से नोरो अक्सर जंगल की जानवरों की अनेक तरह से मदद करता। कभी किसी पक्षी के पैर का कांटा निकाल देता तो कभी किसी भेड़-बकरी के शरीर पर चिपकी कांटेदार झाड़ियों हटा देता। वे सभी पशु और पक्षी नोरो के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त करते। और अपने रास्ते चले जाते। और नोरो खेल कूद कर अपने घर वापस आ जाता।

नोरो हो गया हैरान 

फिर एक दिन बहुत अजीब बात हुई। हमेशा की तरह नोरो पास के जंगल में खेल रहा था, तभी उसको झाड़ियों से पीछे प्रकाश पुंज दिखाई दिया। उत्सुकता वश जब नोरो वहां पर देखने के लिए गया, तो वहां उसे जो दिखाई दिया, उससे उसकी आंखें हैरानी से फटी की फटी रह गई।


वहां पर उसे एक बहुत ही सुंदर एंजेल नजर आये। जिनके शरीर से प्रकाश निकल रहा था और जिनके सर पर नोरो की तरह ही दो सींग थे और नोरो को देखकर वे मुस्कुरा रहे थे।

"एंजेल! आप एंजेल है ना?" नोरो ने हैरान होते हुए पूछा।


"मैं ही क्यों, तुम भी तो एक एंजेल हो।" एंजेल ने नोरो को हंसते हुए जवाब दिया।

"मैं...वो कैसे?" नोरो की हैरानी बढ़ती ही जा रही थी।


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अब एंजेल पास की एक चट्टान पर बैठ गए और उन्होंने नोरो को अपनी गोद में बिठाया और कहा," तुम जानते हो एंजल कौन होते हैं? एंजल वही होते हैं जो इस दुनिया की भलाई के लिए काम करते हैं, कभी किसी का दिल नहीं दुखाते, हमेशा दूसरों की मदद करते हैं। तुम भी तो यही करते हो। तुम इन बेजुबान और निरीह पशु-पक्षियों की हमेशा मदद करते हो। इसलिए तुम भी तो एक एंजेल ही हो।"

नोरो को पता चली अपनी ही कहानी 

"अच्छा....! तो इसीलिए मेरे सर पर भी आप ही की तरह ये दो सींग उगे हैं।" नोरो ने बालसुलभ जिज्ञासा के साथ कहा।

"नहीं...! इसका कारण कुछ और है।" एंजेल की चेहरे की मुस्कुराहट गायब हो गई और वे गंभीरता से बोले।


"वह क्या?" नोरो ने उत्सुकता से पूछा।

"सदियों पुरानी बात है, यह तुम्हारी ही कहानी है। उस समय तुम इसी देश के राजा के बेटे थे। तुम्हारे पिताजी हमेशा हम एंजेल्स का सम्मान करते थे और पूजा करते थे, इसीलिए उन्होंने एंजेल्स को समर्पित करने के लिए एक मंदिर बनवाया और उसमें हमारी पूजनीय एंजेल देवी महान की एक मूर्ति बनवाई। जब तुमने उस मूर्ति को देखा तो तुमने इन सींगों के कारण उन एंजेल देवी महान का बहुत मजाक उड़ाया।"



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इस तरह मिला था नोरो को श्राप 

"एंजेल महान का इस तरह का अपमान करने के कारण एंजेल्स के सबसे बड़े गुरु ने तुम्हें श्राप दिया। इसी श्राप के कारण तुम बीमार हुए और तुम्हें अपने जान से हाथ धोना पड़ा। और फिर सालों के बाद अब तुम इस तरह अपने माता-पिता के घर पैदा हुए, अपने सिर पर सींग लेकर। यह भी उसी श्राप का एक हिस्सा है"



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अब होगा नोरो का श्राप ख़तम

"लेकिन अब तुम एक बहुत ही दयालु बच्चे हो, सबकी मदद करते हो। जिन पशु-पक्षियों की तुमने मदद की है,उन्होंने हमेशा तुम्हारे लिए ईश्वर से प्रार्थना की है उनकी प्रार्थनाओं के फलस्वरूप मैं तुम्हारा श्राप अब खत्म करने आया हूं।"


इतना कहकर एंजेल ने नोरो के सर पर अपना हाथ फेरा। एंजेल के हाथ लगाते ही नोरो के सिर पर जो सींगों का भार महसूस होता था, वह एकदम से गायब हो गया। नोरो को बहुत आराम बहुत सुकून महसूस हुआ।

"अगर इसी तरह से अच्छे, सच्चे और मददगार बने रहोगे तो इसका अच्छा फल पाओगे।" यह कहकर एंजेल वहां से गायब हो गये।

नोरो के सींग अब होंगे गायब 

अब नोरो घर वापस आ गया। सब लोग यह देखकर हैरान थे कि जैसे-जैसे दिन बीत रहे थे वैसे-वैसे नोरो के सिर पर उगे सींगों का आकार छोटा होता जा रहा था। फिर एक सुबह जब नोरो उठा तो उसने देखा कि उसके सर पर उगे सींग बिल्कुल गायब हो चुके थे। वह दौड़ता- दौड़ता अपनी मां के पास गया और मां को दिखाया।

नोरो की मां बोली," ये तो सब ईश्वर का आशीर्वाद है जो उन्होंने तुम्हारा कष्ट खत्म कर दिया वरना यह तो मैं भी नहीं बता सकती कि उन सींगों के होने का और गायब होने का क्या अर्थ है।" यह कह कर उन्होंने ईश्वर का धन्यवाद किया।



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नोरो भी है अनजान 

और नोरो भी कहां बता सकता था कि वे सींग क्यों थे और कैसे गायब हुए क्योंकि जब वह एंजेल से मिलकर जंगल से घर पहुंचा था तो वह एंजेल और अपने बीच हुई सारी बात भूल चुका था।


शिक्षा 

इस कहानी Story in Hindi से हमें यह शिक्षा मिलती है कि मनुष्य के हर अच्छे-बुरे कर्मों का फल उसे हमेशा मिलता है‌। इस बात को याद रख कर ही कर्म करने चाहिए। भलाई का फल हमेशा भला ही मिलता है।




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