कभी कभी छोटी छोटी चीज़े हमारे जीवन में बहुत बदलाव ला देती हैं। ऐसा ही हुआ एक राजा के साथ जब वह अपने पैरों में लगने वाली धूल मिटटी से बाहत परेशान हो गया। पढ़ते है एक रोचक कहानी stories in Hindi
Stories In Hindi परिवर्तन प्रकृति का नियम है
यह कहानी stories in Hindi संकलन की एक बहुत ही रोचक कहानी है। यह कहानी एक ऐसे राजा की है जो कि नेपाल देश पर सदियों पहले शासन करता था। राजा बहुत ही अच्छा,नेक और सच्चा इंसान था। और वैसी ही उसकी प्रजा भी थी। परंतु एक समस्या थी, राजा किसी भी नवीनता को जल्दी से स्वीकार नहीं करता था , जब तक कि उसकी बहुत आवश्यकता ना हो। क्योंकि उसका विश्वास था कि ईश्वर ने हमें जैसा बनाया है, हमें वैसा ही रहना चाहिए।
कैसा था राजा और उसका राज्य
अपने जीवन में और अपने आसपास नए-नए बदलाव करके हम ईश्वर की मूल सरंचना को बिगाड़ देते हैं और प्रकृति से दूर हो जाते हैं, ऐसा उस राजा का मानना था। इसलिए उस राजा की जीवन शैली में और उस राज्य के लोगों की जीवन शैली में तथा हर काम को करने में पुराने तरीके देखें जाते थे।
हालांकि वे इस सब में खुश भी थे। राजा बहुत साधारण से कपड़े पहनता, नंगे पैर चलता और उसका महल भी भव्य और विशाल नहीं था बल्कि बहुत साधारण ही था। राजा का मानना था कि राजा के लिए ठाठ-बाट का कोई उपयोग नहीं जब तक प्रजा सुखी नहीं और यदि प्रजा सुखी है तो राजा भी सुखी है फिर महंगे कपड़े, महंगा घर या सोना-चांदी से लदे आभूषण इंसान को इतना ही सुख नहीं दे सकते जितना सुख उसको उसकी प्रजा का संतुष्ट होना दे सकता है। राजा का मानना था कि भव्यता इंसान के चरित्र में होनी चाहिए, उसके आसपास की चीजों में नहीं। और वास्तव में राजा का चरित्र बहुत ही भव्य था।
राजा के राज्य में किसी प्रकार की कोई कमी नहीं थी। अच्छी से अच्छी फसल की पैदावार होती थी।
व्यापार आदि फलते-फूलते थे। चिकित्सकीय सुविधाओं के लिए अच्छे से अच्छे वैद्य और चिकित्सक थे। परंतु जीवन जीने का ढंग राजा का और सभी का यही था कि सादा, जीवन उच्च विचार।
राजा की परेशानी
राजा बहुत सफाई पसंद था, इसलिए महल में हमेशा साफ-सफाई का खास ध्यान रखा जाता था। परंतु जितनी भी सफाई की जाए नंगे पांव चलने से पैर तो गंदे हो ही जाते हैं। इस बात से राजा बहुत बेचैन हो जाता था और थोड़ी-थोड़ी देर बाद उसे अपने पैर साफ करने पड़ते थे।
अब राजा को लगने लगा था कि यह जो पैरों पर गंदगी लगने की समस्या है इसका कोई समाधान होना चाहिए। इसके लिए उसने अपने दरबारियों से मशविरा किया। उसके दरबारियों ने कहा कि महाराज मिट्टी तो हर जगह है, चाहे आप जितनी मर्जी सफाई करवा लीजिए, जब हवा चलती है तो फिर से धूल-मिट्टी आ ही जाती है।
क्या करें उपाय
राजा ने कहा कि जब बारिश होती है तो चाहे जितनी मर्जी तेज हवा चले, मिट्टी नहीं उठ पाती क्योंकि वह गीली हो जाती है। क्यों ना अपने राज्य की सारी मिट्टी को गीला कर दिया जाए ताकि फिर वह हवा के साथ भी ना उड़ सके।
मंत्रियों ने कहा कि राजा यह संभव नहीं है। एक तो इसमें पानी की बहुत बर्बादी होगी, दूसरा सूर्य देवता के कारण वह मिट्टी फिर से जल्दी से सूख जाएगी और फिर से उसको गीला करना संभव नहीं है। इसमें बहुत सारी मेहनत और पानी लगेगा और फिर भी परिणाम शून्य ही रहेगा।
तब एक दूसरे मंत्री ने सुझाव दिया कि क्यों ना सारी राज्य की जमीन को चमड़े से मढ़ दिया जाए?
दूसरे दरबारी ने कहा कि ऐसा भी संभव नहीं है। खेती योग्य जमीन को तो मिट्टी के साथ ही रखना पड़ेगा और पर्वतों को तो चमड़े से मढ़ा नहीं जा सकता। हवा के साथ मिट्टी वहीं से उड़कर आएगी।
अब क्या किया जाए कोई समाधान नहीं मिल रहा था। तभी एक बूढ़ा दरबारी जो बहुत देर से सब की बातें सुन रहा था, आगे आया और हाथ जोड़कर बोला, 'महाराज आप कहे तो मैं कुछ कहूं?'
बूढ़े दरबारी ने दिया उपाय
राजा ने कहा,' क्या तुम्हारे पास इस समस्या का कोई समाधान है?'
बूढ़ा व्यक्ति बोला, 'महाराज समाधान तो है, परंतु आपको अपनी जीवनशैली में थोड़ा सा परिवर्तन करना पड़ेगा। क्या आप उसके लिए तैयार हैं? आपको अपने जीवन में एक नई वस्तु को जगह देनी पड़ेगी। आप आज्ञा दे तो मैं अपने घर जाकर वह वस्तु ले आऊं?राजा से आज्ञा पाकर वह बूढ़ा व्यक्ति अपने घर गया और वहां से एक थैला लेकर आया। उसने उस थैले में से से कुछ निकाला और कहा, 'महाराज यह वस्तु मैं कुछ वर्ष पहले आपके लिए लेकर आया था। परंतु आप स्वीकार करें या ना करें इसी ख्याल से मैंने आप को नहीं दी। परंतु आज मुझे लगता है कि आप इसको अवश्य स्वीकार करेंगे।' यह कहकर उसने वह वस्तु राजा को दे दी।
क्या लाया बूढ़ा दरबारी
वास्तव में वह वस्तु एक साधारण सी चप्पलों का जोड़ा था। उस दरबारी ने स्वयं आगे बढ़ कर वह चप्पल राजा के पैर में पहना दी और कहा कि महाराज अब चल कर देखिए, क्या आपके पांव में अब फिर से मिट्टी लगती है?
राजा ने चल कर देखा और फिर अपने पांव का परीक्षण किया। थोड़ी सी भी मिट्टी राजा के पांव पर नहीं लगी थी।
तब उस दरबारी ने कहा कि महाराज प्रकृति से जुड़े रहना सही है, परंतु प्राचीनता से नवीनता की ओर चलने में ही मनुष्य का कल्याण है और समाज की उन्नति है। ऐसी वस्तुएं जिनका हमारे जीवन में बहुत अधिक महत्व हो सकता है या जो हमें अनचाही परेशानियों से बचा सकती हैं, उन्हें हमें निसंदेह ही स्वीकार कर लेना चाहिए।
पूरी धरती को गीला करने से अच्छा या पूरी धरती को चमड़े से मढ़ने से अच्छा तो यह है कि हम अपने पैरों की कुछ इस तरह से सुरक्षा करें कि मिट्टी ना लगे। और यह चप्पल आपके पैरों की सुरक्षा करेंगी। अब जो भी मिट्टी लगेगी वह चप्पल पर लगेगी आपके पैर पर नहीं।
अंततः मिला सही उपाय
राजा चप्पल को पाकर बहुत प्रसन्न हुआ और सभी दरबारी भी बहुत प्रभावित हुए। सभी उस चप्पल को बार बार पकड़ कर देख रहे थे की यह किस तरह से बनी है। अब उस राज्य में एक नया व्यवसाय विकसित हुआ , चप्पल बनाने का व्यवसाय।
शिक्षा
इस Hindi story से हमें यह शिक्षा मिलती है कि जो परिवर्तन मानव जाति के जीवन में किसी भी प्रकार का सुधार लाते हैं , ऐसे परिवर्तनों को अवश्य ही अपना लेना चाहिए।
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