भलाई लौट कर आती है - प्रकृति का एक अदभुद परन्तु सत्य नियम

साधू बाबा ने बताया एक ऐसा टोटका, जिसने जादू की तरह काम किया। जो काम इतना मुश्किल था, वो आसानी से हो गया।  आइये पढ़ते है एक ऐसी ही कहानी भलाई लौट कर आती है-प्रकृति का एक अदभुद परन्तु सत्य नियम  Hindi story writing की एक रोचक कथा

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Hindi story writing भलाई लौट कर आती है।

प्रकृति का एक अदभुद परन्तु सत्य नियम

एक समय की बात है, एक गांव की सीमा पर एक महात्मा जी आकर ठहरे। उनके शिष्यों ने जंगल से लकड़ियां काट कर उनके लिए एक कुटिया बना दी।


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अब वे महात्मा जी शान्ति पूर्वक वहां रहने लगे। महात्मा जी बहुत ही ज्ञानी थे। धीरे-धीरे गांव में उनकी ख्याति फैलने लगी और गांव के स्त्रियां और पुरुष उनसे मिलने आने लगे।


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महात्मा जी लोगों को ज्ञान की बातें बताते। लोग महात्मा जी का आशीर्वाद प्राप्त करके अपने आप को धन्य समझते। 

कोई है परेशान

ऐसे ही एक दिन महात्मा जी को एक मदन नाम का युवक मिलने आया। उसने महात्मा जी से कहा कि वह बहुत समय से अपना मकान बनवाने का प्रयास कर रहा है, परंतु मकान है कि बन ही नहीं पा रहा। कभी कोई समस्या आ जाती है तो कभी कोई समस्या आ जाती है। कभी जमीन का झगड़ा पड़ जाता है तो कभी संसाधनों की कमी हो जाती है तो कभी मैं बीमार पड़ जाता हूं। इस तरह से बहुत समय से मैं अपना मकान बनवाना चाह रहा हूं, परंतु कोई ना कोई रुकावट मेरे रास्ते में आ ही रही है।


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फिर वह महात्मा जी से विनती करते हुए बोला कि है महाराज, कोई ऐसा टोटका कोई ऐसा उपाय बताइए जिससे मेरा मकान जल्दी से जल्दी बन जाए।

क्या उपाय बताया महात्मा जी ने ?

इस पर महात्मा जी मुस्कुराते हुए बोले, ठीक है एक काम करो, एक घड़ा लो और उसको अपने घर के पास के किसी पेड़ पर टेढ़ा करके लटका दो। तुम्हारा घर बन जाएगा।


कुछ दिनों के पश्चात महात्मा जी भी अपने शिष्यों सहित वह गांव छोड़कर चले गए।

महात्मा जी से यह टोटका लेकर मदन अपने घर चला गया।

फिर लौटे महात्मा जी 

फिर एक साल के बाद एक दिन महात्मा जी अपने शिष्यों के साथ वापस उसी गांव में लौटे और वही गांव के बाहर बनी हुई अपनी उसी कुटिया में रहने लगे। समय बीतने के कारण कुटिया कुछ अस्त-व्यस्त हो गई थी, जिसको उनके शिष्यों ने फिर से ठीक-ठाक कर दिया।

मदन भी आया महात्मा जी से मिलने

महात्मा जी के आने की बात फिर से गांव में धीरे-धीरे फैली और मदन के कानों तक भी पहुंची। मदन फिर से महात्मा जी से मिलने आया।

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महात्मा जी से मिलकर वह बोला, महाराज आपने शायद मुझे पहचाना नहीं। मैं वही व्यक्ति हूं जो घर बनाने का टोटका आपसे लेकर गया था।

क्या बन पाया मदन का घर ? 

फिर वह बोला महाराज, आपको यह जानकर अति प्रसन्नता होगी कि आपका टोटका शत प्रतिशत काम कर गया। आपने जैसे कहा था कि एक पेड़ पर घड़ा टेढ़ा करके लटका देना, मैंने वैसा ही किया। तो फिर मेरा घर भी जल्दी ही बन गया। आपके टोटके ने तो बिल्कुल जादू सा काम किया। मैं आपका बहुत-बहुत धन्यवादी हूं।

 महात्मा जी ने बताया रहस्य 

इस पर महात्मा जी हंसते हुए बोले कि वह कोई टोटका या कोई जादू नहीं था, बल्कि वह तो एक प्रकृति का नियम था कि भलाई लौट कर आती है।
वास्तव में हुआ क्या कि जो घड़ा तुमने टेढ़ा करके लटकाया था, उसमें एक चिड़े और चिड़िया ने अपना घर बनाया।


फिर वहां पर चिड़िया ने अंडे दिए। इस प्रकार तुमने उस चिड़े चिड़िया को उनका घर दिया। उसके बदले में उन्होंने उस घड़ा लटकाने वाले के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की और उसको अपना आशीर्वाद दिया कि जिसने हमारा घर बनाया, ईश्वर उसका भी घर बना दे।


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इस प्रकार उस चिड़े और चिड़िया के आशीर्वाद से तुम्हारा घर बन पाया। वास्तव में यह सत्य बात है कि आशीर्वाद में और प्रार्थना में बहुत शक्ति होती है। हमें भलाई का बदला अवश्य मिलता है, चाहे अभी ना मिले, कुछ समय रुक कर मिले। परंतु मिलता अवश्य है।

शिक्षा 

Hindi story writing की कला को दिखाने वाली इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि व्यक्ति को जितना हो सके दूसरों की भलाई के लिए कार्य करना चाहिए। दूसरों के लिए की गई भलाई स्वयं के पास लौटकर अवश्य आएगी। इसी प्रकार दूसरों के प्रति किया गया द्वेष या किसी प्रकार का नुकसान भी खुद के पास ही लौट कर आता है। तो हमें सभी व्यक्तियों की भलाई का ही सोचना चाहिए। किसी का भी बुरा नहीं सोचना चाहिए।


COMPILED BY - PUJA NANDA
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