
Moral Stories In Hindi - अपनों का दुःख

सब कुछ ठीक चल रहा था कि अचानक एक दिन मिनी को तेज़ बुखार हो गया। डॉक्टर से दवा दिलवाई गई। जब बुखार ठीक न हुआ तो उसे अस्पताल में एडमिट करवाया गया, लेकिन अफसोस! मिनी को ना बचाया जा सका।
इस तरह मिनी के यूं अचानक चले जाने से उसके माता-पिता पर तो मानो दुखों का पहाड़ ही टूट पड़ा। वे न किसी से बात करते, ना ही खाने पीने का होश था। बस दोनों रोते ही रहते थे। उसके पिता ने ऑफिस जाना और घर से निकलना भी बंद कर दिया। आस पड़ोस के लोगों ने और नाते रिश्तेदारों ने बहुत सांत्वना देने की कोशिश की, लेकिन सब बेकार।


उसे देखते ही पिता ने कहा, मेरी प्यारी बेटी! सब परियों की मोमबत्तियां जल रही हैं, पर तुम्हारी बुझी हुई क्यों है? तुम इसे जला क्यों नहीं लेती? इस पर मिनी बोली,- पापा! मैं तो बार-बार अपनी मोमबत्ती जलाती हूं, पर आप और मम्मी इतना रोते हो कि आपके आंसुओं से मेरी मोमबत्ती बुझ जाती है।
यह सुनते ही पिता की नींद टूट गई और उन्हें अपनी गलती का एहसास हुआ । वे समझ गए कि अगर वह दुखी रहेंगे तो उनकी बेटी भी दुखी ही रहेगी। यह सच है कि किसी अपने के जाने का दुख शब्दों में नहीं बताया जा सकता, लेकिन कहीं ना कहीं हमें अपने आप को मजबूत करना होता है और अपनी जिम्मेदारियों को निभाना होता है।

और ऐसा करना ही शायद मरने वाले की आत्मा को शांति देता है। हमारे अपने हमेशा हमें खुश देखना चाहते हैं, इस दुनिया से जाने के बाद भी।
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