
कहते हैं कि प्रकृति ही सबसे बड़ी शिक्षक होती है। जो बातें हम पुस्तकों में नहीं सीख पाते, वह हमें अनुभव और प्रकृति स्वयं सिखा देती है। यह प्रेरणादायक कहानी एक ऐसे ही मासूम गांव के बच्चे माधव की है, जो एक दिन अपने बालमन की सरलता से प्रकृति के कार्यों पर सवाल उठाता है, और फिर कुदरत स्वयं उसे उत्तर देती है — बिना शब्दों के, पर सटीक भावों के साथ।यह रोचक और नैतिक कहानी बच्चों और बड़ों दोनों के लिए बेहद ज्ञानवर्धक और जीवन से जुड़ी हुई है।
कुदरत हमेशा अपना काम ठीक से करती है – प्रेरणादायक हिंदी कहानी
सरल हृदय बालक माधव
यह Short Hindi Story for Kids माधव की है जो एक छ: साल का सीधा-साधा गांव का बच्चा था। हृदय से बहुत सरल और स्वभाव से वह बहुत प्यारा बच्चा था। गांव की छोटी सी पाठशाला में खुशी-खुशी पढ़ाई करके दोपहर में जब घर पहुंचता तो उसकी मां कमला बहुत प्यार से उसको भोजन परोसती और फिर खाने की पोटली बांधकर अपने पति को खाना पहुंचाने खेत की ओर निकल जाती।
माधव के पिता एक किसान थे। उनका एक ही सपना था कि उनका बेटा पढ़-लिखकर शहर जाए और खेती-किसानी की नई तकनीके और तरीके सीख कर आए और उनके खेती के काम को एक अलग ही ऊंचाई पर लेकर जाए।
गांव की पाठशाला और ज्ञानी गुरुजी
गांव की पाठशाला एक सीमित साधनों वाली फूस की छत की दो कमरों की इमारत थी। सामने खुला हरा-भरा मैदान था। पाठशाला में एक ही शिक्षक थे, परंतु वे थे बहुत ही ज्ञानी। विभिन्न विषयों को पढ़ाने के साथ ही वह बच्चों को बहुत सी ज्ञानवर्धक जानकारी भी दिया करते थे।

गुरुजी का एक प्रेरणादायक संदेश
एक दिन माधव खुशी-खुशी घर आया और आते ही अपनी मां से लिपट गया। वह बोला, - मां जानती हो, आज गुरु जी ने हमें क्या बताया?
क्या? - मां ने हंसते हुए पूछा।
माधव बहुत ही उत्साहित होकर बोला - उन्होंने बताया है कि माता पिता की सेवा करना ही ईश्वर की सच्ची सेवा है। जो अपने माता-पिता की सेवा करता है, उससे ईश्वर सदैव प्रसन्न रहते हैं।
मां काम करते हुए बनावटी हैरानी से बोली, - अच्छा। और क्या बताया तेरे गुरु जी ने?
माधव अपनी ही धुन में अत्यधिक खुश होते हुए कहे जा रहा था, - अरे मां, कितना आसान है ईश्वर को प्रसन्न करना। आज से मैं आपकी और पिताजी की खूब सेवा करूंगा। यह कह कर उसने अपनी मां के हाथ से मटका पकड़ा और बोला, - आप मत जाओ मां, मैं आपको कुएं से पानी भर कर ला दूंगा।
फिर उसने पानी भर कर ला कर दिया। मां से पूछ पूछ कर और भी कुछ छोटे मोटे काम किए। जब उसकी मां खाने की पोटली उठा कर खेत पर जाने लगी तो माधव अपनी मां का हाथ पकड़ कर बोला, - मां आज से आप आराम से घर पर ही रुका करो, खेत पर पिता जी को खाना देने मैं ही जाया करूंगा।
रास्ते में प्रकृति से साक्षात्कार
खेत की ओर जाते हुए वह रास्ते की सुंदरता निहारता जा रहा था। तभी उसने देखा कि पूरे रास्ते जामुन और शहतूत के पेड़ लगे हुए थे। वे वृक्ष बहुत बड़े और फलों से पूरी तरह लदे हुए थे।

फिर वह अपने पिता के खेत पर पहुंच गया। पिता उसको आया देख परेशान हो गये कि उसकी मां क्यों नहीं आई आज? वह ठीक से तो है न? तब उसने अपने पिता को भी यही कहा कि आज से मैं ही आपका भोजन लेकर आऊंगा। मां को इस तपती दोपहरी में अब नहीं आने दूंगा।
फसल का दृश्य और बाल मन की उलझन
उसके पिता भोजन करने लगे तो वह खेत की मुंडेर पर चलता हुआ अपना खेत देखने लगा। उसके पिता ने खेत में तरबूज, खरबूजे और कद्दू उगाए हुए थे। फसल लगभग तैयार ही थी। पूरे खेत में बड़े बड़े कद्दू, तरबूज और खरबूजे इस तरह से पड़े हुए थे मानो किसी ने उन्हें सजा कर रक्खा हो।

यह देख कर माधव बहुत हैरान था कि रास्ते में उसने जो वृक्ष देखें, वे बहुत ही विशालकाय थे, लेकिन उन पर लगने वाले फल बहुत ही छोटे-छोटे थे। जबकि वे वृक्ष बड़े बड़े आकार के फलों वाले होने चाहिए थे। और यहां खेत में इतनी कमज़ोर कोमल टहनियों पर इतने बड़े-बड़े फल और सब्जियां लगी हैं, जबकि इन पर तो छोटे-छोटे कोमल फल और सब्जियां लगनी चाहिए।
बाल बुद्धि का प्रश्न और पिता का उत्तर
माधव की बाल बुद्धि को यह बात समझ नहीं आई तो उसने अपने पिता जी से पूछा। बदले में उन्होंने हंसते हुए कहा,- कुदरत हमेशा अपना काम ठीक से करती है। चल अब घर जा। अपनी बुद्धि पर इतना बोझ मत डाल। जा, तेरी मां इन्तजार करती होगी। देरी हो गई तो नाहक ही चिंता करेगी।
प्रकृति की परीक्षा — और उत्तर
माधव का मन अपने पिता के जवाब से संतुष्ट न हुआ। उसके हिसाब से भगवान से जरूर यह गलती हुई थी। उन्हें बड़े पेड़ों पर बड़े फल और छोटी लताओं पर छोटे फल लगाने चाहिए थे। इसी उधेड़बुन में वह वापिस घर की और चल रहा था कि रास्ते में उसको कुछ थकान महसूस हुई ।
माधव ने सोचा क्यों न यहीं कहीं किसी पेड़ के नीचे थोड़ी देर आराम कर लिया जाए। ऐसा सोच कर वह एक बड़े-से छायादार जामुन के वृक्ष के नीचे लेट गया। तीसरा पहर भी खत्म होने को था। हल्की-हल्की हवा बह रही थी। थोड़ी ही देर में माधव को नींद आ गई और वह सो गया।

अभी माधव सो ही रहा था कि मौसम ने अचानक करवट ली। तेज हवा चलने लगी और काले बादल घिर आए। तेज हवा ने जब जामुन के पेड़ को हिलाया तो बहुत से जामुन नीचे गिरने लगे। काफी सारे जामुन पेड़ के नीचे सोते हुए माधव पर भी गिरे। जामुनों की चोट ऐसी थी मानो कोई छोटे-छोटे कंकर उठाकर मार रहा हो।
अब माधव की नींद खुली। जामुन अभी भी उसके ऊपर गिर रहे थे। लेकिन उनकी चोट ऐसी थी कि माधव को कोई नुकसान नहीं हो रहा था क्योंकि वे तो बहुत ही छोटे-छोटे फल थे।
आत्मबोध — और दूसरा सबक
तब माधव ने सोचा, -अगर इन छोटे फलों की जगह बड़े-बड़े फल इन बड़े पेड़ों पर लगे होते तो इस समय उनकी चोट से उसका तो सर ही फूट गया होता।

अब माधव को समझ आया कि उसके पिता ने ठीक ही कहा था कि कुदरत हमेशा अपना काम ठीक से करती है। और यह उसका आज का दूसरा सबक था।
प्रेरणा जो जीवन बदल दे
यह प्रेरणादायक हिंदी कहानी सिर्फ एक बालक की नहीं, बल्कि हर उस व्यक्ति की है जो कभी न कभी कुदरत के फैसलों पर प्रश्न उठाता है। यह कहानी हमें सिखाती है कि प्रकृति की व्यवस्था में गहराई होती है — हर पेड़, हर फल, हर परिस्थिति में कोई न कोई जीवन का पाठ छिपा होता है।
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