महान अर्थशास्त्री चाणक्य के तीन परीक्षण

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हम सभी कभी न कभी दूसरों के बारे में कुछ न कुछ सुनते हैं — खासकर उनके बारे में जिनसे हमारा गहरा संबंध होता है। ऐसे में प्रश्न उठता है, क्या हर सुनी-सुनाई बात पर विश्वास कर लेना चाहिए? क्या बिना जांचे-परखे किसी मित्र के बारे में नकारात्मक बातों को दूसरों तक पहुंचाना उचित है?


प्राचीन भारत के महान चाणक्य, जिन्हें कौटिल्य या विष्णुगुप्त के नाम से भी जाना जाता है, ऐसी स्थितियों में कैसे निर्णय लेते थे — यह जानने के लिए प्रस्तुत है एक गूढ़, लेकिन बेहद प्रेरणादायक story hindi mein, जो हमें सिखाती है कि सोच-समझकर बोलना और निर्णय लेना ही बुद्धिमानी है।


महान अर्थशास्त्री चाणक्य के तीन परीक्षण Story Hindi Mein

एक जीवन बदल देने वाली कथा



चाणक्य और तीन छन्नी परीक्षण

चाणक्य अर्थशास्त्र के जन्मदाता और एक सफल कूटनीतिज्ञ और राजनीतिज्ञ के रूप में जाने जाते हैं। चाणक्य द्वारा बनाए गए नीति नियम हर समय और काल में सत्य और सहायक सिद्ध हुए हैं। चाणक्य के बारे में विस्तार से जानने के लिए यहां क्लिक करें।


एक दिन चाणक्य के पास उनका एक परिचित व्यक्ति आया। वह कुछ अत्यंत महत्वपूर्ण बताने के लिए उत्साहित था। वह चाणक्य से बोला - क्या आप जानते हैं, मैंने अभी-अभी आपके मित्र के बारे में एक चौंकाने वाली बात सुनी है!


चाणक्य मुस्कुराए, लेकिन शांत स्वर में बोले— ठहरो मित्र, उससे पहले कि तुम मेरे मित्र के बारे में कुछ कहो, मैं चाहूंगा कि हम तीन छन्नी परीक्षण करें।


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तीन छन्नी -? उस व्यक्ति ने आश्चर्य से पूछा।

पहली छन्नी

हाँ, चाणक्य बोले, - यह एक ऐसा परीक्षण है जिससे गुजरकर ही कोई भी बात सही साबित हो सकती है। सबसे पहले है सत्य की छन्नी। क्या तुम यह बात पूर्ण विश्वास से कह सकते हो कि जो तुम मुझे बताने जा रहे हो वह सच है?


व्यक्ति थोड़ा झेंप कर बोला - नहीं, मैंने तो यह बात अभी किसी से सुनी है, मुझे खुद पूरा विश्वास नहीं है।


चाणक्य बोले, - तो फिर तुम स्वयं भी नहीं जानते कि वह बात सच है या झूठ।

दूसरी छन्नी

चाणक्य आगे बोले - चलो, अब दूसरी छन्नी लगाते हैं—भलाई की छन्नी। क्या जो बात तुम बताने जा रहे हो, वह मेरे मित्र की भलाई में है?


नहीं, - व्यक्ति बोला, - असल में वह बात अच्छी नहीं है।


चाणक्य ने गंभीर स्वर में कहा— तो तुम मुझे एक बुरी बात बताने जा रहे थे, जो तुम्हें खुद नहीं पता कि सच है भी या नहीं।

तीसरी और अंतिम छन्नी

चलो अंतिम छन्नी लगाते हैं—उपयोगिता की छन्नी। क्या जो बात तुम कहने जा रहे थे, वह मेरे किसी काम की है?

व्यक्ति ने सिर झुका लिया और शर्मिन्दा होकर बोला - शायद नहीं…!

चाणक्य मुस्कुराए, लेकिन उनकी आँखों में दृढ़ता थी। - तो फिर मित्र, जो बात न तो सत्य है, न भलाई में है, और न ही उपयोगी, ऐसी बात को कहने का कोई लाभ नहीं। इसलिए, कृपया इस विषय में मौन ही रहो।


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नीति-सूत्र – जो बात जोड़ती न हो, वह तोड़ती है
जिह्वा पर लगाम न हो तो रिश्ते बिगड़ते देर नहीं लगती।

इस प्रेरणादायक story hindi mein, चाणक्य की तीन छन्नी परीक्षा हमें यह सिखाती है कि हमें हर बात पर तुरंत प्रतिक्रिया नहीं देनी चाहिए।

हमारे बोले गए शब्द न केवल हमारे चरित्र को दर्शाते हैं, बल्कि सामने वाले पर भी गहरा प्रभाव डालते हैं। यदि कोई बात सत्य, हितकारी और उपयोगी नहीं है, तो उसका उल्लेख भी नहीं करना चाहिए।


उपसंहार – एक संस्कारी समाज की ओर कदम

हम एक ऐसा समाज चाहते हैं जहां सद्भाव, विश्वास और सच्चाई हो। यदि हम चाणक्य की इस नीति को अपनाएं, तो बेबुनियादी अफवाहें, रिश्तों में दरार और मनमुटाव बहुत हद तक कम हो सकते हैं।



वाणी में मिठास और सोच में स्पष्टता हो, तो हर संबंध अमृत बन सकता है।

इसलिए अगली बार जब भी किसी के बारे में कुछ नकारात्मक सुनें, इस तीन छन्नी परीक्षण को ज़रूर अपनाएं — यह सिर्फ दूसरों की नहीं, आपकी भी गरिमा बढ़ाता है। यह story hindi mein हमें यह सिखाती है कि हर बात को बिना जांचे नहीं बोलना चाहिए।


तीन छन्नी परीक्षण — सत्य, भलाई और उपयोगिता — एक सुंदर और बुद्धिमान सोच का प्रतीक है। अनावश्यक नकारात्मकता फैलाने से बेहतर है मौन की मर्यादा रखना।


आपका अनुभव क्या कहता है?

क्या आपने कभी ऐसी स्थिति का सामना किया है जब कोई आपके मित्र के बारे में गलत बात लेकर आया हो?
क्या आपने उस वक्त मौन साधा या सामना किया?


कृपया अपने विचार नीचे कमेंट बॉक्स में जरूर साझा करें — आपकी हर कहानी किसी और के लिए सीख बन सकती है। यदि आपको यह story hindi mein पसंद आई हो, तो कृपया इसे शेयर करें और ब्लॉग को फॉलो करें ऐसी और भी अमृत कथाओं के लिए।



COMPILEAD BY - PUJA NANDA

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