
हर बच्चा अलग होता है। कोई तेज़ दौड़ सकता है, कोई गा सकता है, कोई सोच सकता है और कोई गहराई से महसूस कर सकता है। लेकिन जब एक जैसे पैमाने पर सबका मूल्यांकन किया जाता है, तो कई हुनरमंद बच्चे असफल माने जाते हैं। आज की यह प्रेरणात्मक हिंदी कहानी “जंगल का स्कूल” उसी सच्चाई को सामने लाती है — शिक्षा व्यवस्था की एक विसंगति और बच्चों की विशेष प्रतिभाओं को नजरंदाज करने का दुखद परिणाम।
जंगल का स्कूल – Moral Story in Hindi for Students
जंगल में हुआ ऐलान
जंगल के राजा शेर ने घोषणा की कि अब से कोई अनपढ़ नहीं रहेगा। हर पशु को अपने बच्चों को स्कूल भेजना ही होगा। स्कूल में उन्हें अच्छी से अच्छी शिक्षा के साथ-साथ प्रमाणपत्र भी मिलेगा।

सभी जानवर बहुत खुश हुए। शेर, हाथी, बंदर, मछली, खरगोश, कछुआ, ऊँट और जिराफ —हर प्राणी ने अपने बच्चे स्कूल भेजे।
पहली परीक्षा
पहली परीक्षा हुई तो उसमें हाथी का बच्चा फेल हो गया।
पर विषय क्या था जिसमें वह फेल हुआ? विषय था - पेड़ पर चढ़ना।
सब सकते में आ गए।
"पेड़ पर चढ़ना नहीं आता?"
"तो ट्यूशन दिलवाओ!"
"कोचिंग भेजो!"
"किसी भी हाल में टॉप कराना है!"

अब हाथी के परिवार का एक ही सपना था —
"बच्चा पेड़ पर चढ़ना सीखे।"
परिणाम और सजा
साल बीता, परिणाम आया।
बंदर के बच्चे ने अधिकतम अंक प्राप्त किए थे।
बाकी सब — हाथी, ऊँट, जिराफ — फेल!
बंदर ने मंच पर गुलाटियाँ मारीं,
पुरस्कार पाया, तालियाँ बटोरीं।
दूसरी तरफ, हार के गुस्से में बाकी जानवरों ने अपने बच्चों को पीटा।

"इतना खर्चा कर रहे हैं तुम्हारे ऊपर!"
"बंदर से सीखो कुछ!"
"फेलियर हो तुम!"
मछली का संघर्ष
मछली की बेटी तैरने में अव्वल थी,
पर बाकी विषयों में फेल।
मास्टरनी बोली — "उपस्थिति की समस्या है।"
मछली ने गुस्से से पूछा —
"क्यों स्कूल नहीं जाती?"

बेटी बोली —
"माँ, मेरा यहाँ दम घुटता है। मैं साँस ही नहीं ले पाती इस कक्षा में। मुझे तालाब वाले विद्यालय में ही सीखने दो।"
मछली गुस्से से बोली - नहीं, ये राजा का स्कूल है। तालाब वाला स्कूल क्या हमारे स्टेटस को शोभा देगा? तुमको इसी स्कूल में पढ़ना है।
बूढ़ा बरगद और ज्ञान की बात
अपमानित माता -पिता बच्चों को पीटते हुए ले जा रहे थे।
तभी रास्ते में बूढ़े बरगद ने पूछा — क्यों पीट रहे हो इन मासूमों को?
जवाब मिला — पेड़ पर चढ़ नहीं पाया इनमें से कोई एक भी। उधर बंदर के बच्चे को देखो, परीक्षा में उसने अधिकतम अंक प्राप्त किए हैं।
बरगद मुस्कराया और कहा — अरे, क्यों चढ़ाना है इन्हें पेड़ पर? हाथी अपनी सूंड से सबसे ऊँचा फल तोड़ सकता है जिराफ अपनी लंबी गर्दन से पत्ते खा सकता है।ऊँट रेगिस्तान पार कर सकता है। मछली तैर कर विशाल समुद्र की दूरी नाप लेती है।

कहानी से सीख (Moral of the Story)
हाथी का बच्चा, मछली, जिराफ, ऊँट — सबकी अपनी विशेषताएं हैं।
उन्हें उनकी योग्यताओं के अनुसार अवसर मिलना चाहिए।
शिक्षा और पालन-पोषण पर विचार
हर बच्चा पढ़ाई में ही अच्छा हो यह ज़रूरी नहीं।
पर अगर उसके अंदर संस्कार, नैतिक मूल्य, आत्मविश्वास और सही दिशा हो तो वह जीवन में जरूर सफल होगा।
उन्हें पहचानें, समझें और उसी दिशा में आगे बढ़ने दें, चाहे वो संगीत, नाटक, कला, खेल, विज्ञान, खेती, व्यापार या कोई भी क्षेत्र हो।
निष्कर्ष (Conclusion)
मछली को पेड़ पर चढ़ने के लिए मत कहो — वो समंदर नापने के लिए बनी है।आपके बच्चे जो भी कर रहे हैं, उनका साथ दीजिए। उनकी असफलताओं पर गुस्सा करने के बजाय उनकी ताकत को पहचानिए।
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