सुदामा दरिद्र क्यों? एक त्याग और भक्ति से भरी विलक्षण कथा

moral story in hindi

जब हम 'सुदामा' का नाम सुनते हैं, तो एक निर्धन ब्राह्मण की छवि आँखों के सामने उभर आती है—जो फटे वस्त्रों में श्रीकृष्ण से मिलने द्वारका पहुँचते है, लेकिन जिनके मन में अपार भक्ति और प्रेम का खजाना होता है।

पर क्या आपने कभी सोचा है कि भगवान श्रीकृष्ण के परम प्रिय मित्र सुदामा, जिनका जीवन तप, ज्ञान और स्नेह से भरा था, वे दरिद्र क्यों थे? क्या यह केवल भाग्य की बात थी, या इसके पीछे कोई गहरा रहस्य छिपा था?


आईये, एक विलक्षण कथा moral story in hindi के माध्यम से इस रहस्य से पर्दा हटाते हैं।

moral story in hindi सुदामा दरिद्र क्यों?

एक त्याग और भक्ति से भरी विलक्षण कथा


एक वृद्धा की कठिन परीक्षा

किसी समय की बात है। एक अत्यंत वृद्ध, निर्धन और असहाय बूढ़ी स्त्री भिक्षा माँग कर जीवन यापन करती थी। दिन पर दिन उसकी परिस्थितियाँ और भी कठोर होती चली गईं। पाँच दिन तक लगातार उसे कोई भिक्षा नहीं मिली। उसने भूखे पेट केवल जल पीकर भगवान का नाम लिया और सो गई।


छठवें दिन, उसे किसी करुणामयी आत्मा से दो मुट्ठी चने भिक्षा में प्राप्त हुए। बूढ़ी स्त्री प्रसन्न तो हुई, पर उसकी आस्था और श्रद्धा इतनी दृढ़ थी कि उसने उन चनों को स्वयं न खाकर ईष्टदेव प्रभु को भोग लगाने का निश्चय किया।


moral story in hindi

रात का अंधेरा घिर चुका था। थकी-मांदी बूढ़ी स्त्री ने चनों को कपड़े में बाँधकर सुरक्षित रखा और ईश्वर का नाम जपते-जपते सो गई।


चोरों की चोरी और चने की यात्रा

रात्रि के सन्नाटे में कुछ चोर उसकी झोपड़ी में घुसे। उन्होंने कपड़े में बँधी चनों की पोटली देखी और समझ लिया कि इसमें कोई अमूल्य वस्तु—शायद स्वर्ण मुद्राएं—छिपी हैं। वे उसे लेकर चुपचाप निकल गये।


moral story in hindi

शोर सुनकर बूढ़ी स्त्री जागी और उसने विलाप किया, - हे प्रभु! मेरे भोग के चने भी मुझसे छीन लिए गए? गाँववाले दौड़े, चोरों के पीछे भागे। डर से चोर भागते हुए संदीपन मुनि के आश्रम में घुस गये—जहाँ उन दिनों भगवान श्रीकृष्ण और सुदामा शिक्षा प्राप्त कर रहे थे।


moral story in hindi


गुरुमाता ने आहट पाकर आवाज़ लगाई, - कौन है? भयभीत चोर चने की पोटली वहीं छोड़कर भाग गए।


 बूढ़ी स्त्री का श्राप: जो खाएगा, वह दरिद्र होगा!

उधर  बूढ़ी स्त्री की व्यथा अपने चरम पर थी। उसने रोते हुए आकाश की ओर देखा और कहा, - हे प्रभु ! मेरे भोग के चने किसी और ने चुरा लिए। मैं दीन-हीन हूँ, लेकिन मेरी भक्ति सच्ची है। मैं श्राप देती हूँ—जो भी इन चनों को खाएगा, वह दरिद्र हो जाएगा!


उसके शब्दों में पीड़ा थी, पर साथ ही एक सच्चे भक्त का जप और ईश्वर से न्याय की पुकार भी।


गुरुमाता का प्रेम और सुदामा का महान निर्णय

प्रात:काल जब गुरुमाता आश्रम की सफाई कर रहीं थीं, उन्हें वह चनों की पोटली मिली। उन्हें कूड़े में फेंक कर वें अन्न का अपमान नहीं कर सकती थीं। तो उन्होंने सोचा कि ये जंगल से लौटते हुए बालकों के काम आएगी। उसी समय श्रीकृष्ण और सुदामा लकड़ी लाने के लिए जा रहे थे। गुरुमाता ने सुदामा को वह पोटली दी और स्नेहपूर्वक कहा, - बेटा! जब भूख लगे तो तुम दोनों यह चने खा लेना।


जैसे ही सुदामा ने वह पोटली हाथ में ली, उनकी दिव्य दृष्टि जाग्रत हुई। वे समझ गए—ये वही चने हैं, जो एक असहाय वृद्धा ने ईश्वर के लिए श्रद्धा से भेंट स्वरूप समर्पित किए थे और जिन पर अब श्राप लगा है।


सुदामा का त्याग: मित्र को दरिद्रता से बचाने का प्रण

सुदामा जन्म से ही ज्ञानी थे। उन्होंने मन ही मन विचार किया, - गुरुमाता ने कहा है कि ये चने दोनों मिलकर खाएं। लेकिन यदि मैंने इन श्रापित चनों में से एक भी प्रभु श्रीकृष्ण को दे दिया, तो समस्त त्रिभुवन के स्वामी को दरिद्रता छू जाएगी! क्या मैं अपने जीवन में कभी ऐसा पाप सह सकूँगा?


अब वे दोनों जंगल पहुंच गए और लकड़ी काटनी शुरू की। प्रत्यक्ष में तो सुदामा लकड़ी काट रहे थे लेकिन अंत:करण में एक द्वंद चल रहा था कि किस तरह से कान्हा को उन चनों से दूर रखा जाए?

और फिर वहीं सुदामा ने निर्णय ले लिया— मैं ये चने अकेले खा लूँगा, लेकिन अपने मित्र को दरिद्र नहीं होने दूँगा।

moral story in hindi

तभी बरसात शुरू हो गई और बरसात से बचने के लिए सुदामा और कृष्ण अलग-अलग पेड़ों पर चढ़ गये। बस यही वह अवसर था जब सुदामा ने पेड़ पर बैठे-बैठे सारे चने स्वयं का लिए। इस तरह श्रापित चनों के कारण सुदामा ने स्वयं दरिद्रता को चुन लिया।

लेकिन उनके इस अद्भुत बलिदान से त्रिलोकीनाथ श्रीकृष्ण का वैभव अक्षुण्ण रहा।

moral story in hindi

परम मित्रता की पराकाष्ठा

यह कोई साधारण घटना नहीं थी। यह एक ऐसे प्रेम और भक्ति की कथा है, जहाँ एक मित्र अपनी दरिद्रता सहकर भी अपने ईश्वर तुल्य मित्र को दरिद्र नहीं होने देता।
कितना अद्भुत है सुदामा का यह त्याग! यह बताता है कि प्रेम में केवल देना होता है—बिना किसी अपेक्षा के।


भक्ति का सर्वोच्च स्वरूप

सुदामा की यह कथा हमें न केवल त्याग और प्रेम सिखाती है, बल्कि यह भी बताती है कि एक सच्चा भक्त अपने आराध्य के लिए किस हद तक जा सकता है।


सुदामा दरिद्र थे, लेकिन उनका हृदय सबसे धनी था। उनके पास भक्ति की अपार निधि थी, जो संसार की किसी भी संपत्ति से कहीं अधिक मूल्यवान थी।


जब हम ‘दरिद्र’ शब्द सुनें, तो केवल बाहरी अवस्था को न देखें—कभी-कभी वह आत्मा भीतर से इतनी पवित्र होती है कि उसकी दरिद्रता भी पूजनीय बन जाती है।


आप क्या सोचते हैं?

क्या आपने कभी किसी के लिए ऐसा बलिदान किया है? क्या सच्चा प्रेम और भक्ति वास्तव में इतना निःस्वार्थ हो सकता है?

अपने विचार इस पोस्ट के नीचे साझा करें और इस moral story in hindi को उन लोगों तक पहुँचाएँ जो मित्रता और त्याग का वास्तविक अर्थ जानना चाहते हैं।

जय श्रीकृष्ण!
सच्ची मित्रता को नमन।

COMPILEAD BY - PUJA NANDA

storyhindiofficial.in

अन्य मज़ेदार और मनोरंजक हिंदी कहानियां

*अहिंसा सबसे बड़ा धर्म है, लेकिन वह तब तक ही प्रभावी है जब तक अन्याय उसकी परीक्षा न ले। पढ़िए fantasy story in hindi कालजयी का न्याय।

*डुनडुन भालू को एक बार मिल गई एक सुनहरी चमकती चाबी। वह चाबी उसके लिए वरदान बनी या मुसीबतों का पहाड़ लेकर आई। जानने के लिए पढ़ें Fantasy Story With Moral Hindi story डुनडुन भालू को मिला खज़ाना-रहस्य और रोमांच का जादुई सफर

*यह story hindi है मस्तराम की, जिसके सपने बहुत बड़े थे। लेकिन क्या पूरे हुए उसके सपने? पढ़िए मस्तराम के सपने - एक आलसी का आकाशमहल।

*जब शासक मूर्खतापूर्ण और निरंकुश व्यवहार करता है तो वह नगर या देश अन्धेर नगरी कहलाता है। देखें moral story in hindi अन्धेर नगरी चौपट राजा।


*आखिर फिर एक बार लोमड़ी चली अंगूर खाने। क्या इस बार भी उसे असफलता मिलेगी या फिर इस बार वो प्राप्त कर लेगी अंगूर? पढ़ें एक रोचक hindi kahani -अंगूर अब खट्टे नहीं हैं।





© 2025 StoryHindiofficial.in

इस लेख की सभी सामग्री, कहानी और विचार मौलिक और कॉपीराइट के अंतर्गत सुरक्षित हैं। बिना  अनुमति इस लेख को पुनः प्रकाशित करना, कॉपी करना या किसी भी रूप में उपयोग करना कानूनन दंडनीय है। कृपया रचनात्मकता की इज्जत करें।


नोट: इस कहानी की विषयवस्तु मौलिक अथवा संकलित है। यदि यह किसी मौलिक रचना से मेल खाती हो, तो कृपया हमें सूचित करें। अधिक जानकारी के लिए कृपया हमारी Sources & Compilation Policy तथा Copyright Disclaimer पेज देखें।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.