कहाँ है न्याय? अंधेर नगरी में किसकी होगी सुनवाई? अन्धेर नगरी चौपट राजा

moral story in hindi


'अन्धेर नगरी चौपट राजा' का अर्थ यही है कि राजा यानी शासक मूर्खतापूर्ण और निरंकुश व्यवहार करता है तो वह नगर या देश अन्धेर नगरी कहलाता है राजा की तरह प्रजा भी लक्ष्यहीन होकर भटक जाती है वहाँ शासन सुशासन न होकर कुशासन हो जाता है सभी लोग एक-दूसरे के प्रति असहिष्णु हो जाते हैं, उन्हें किसी की भावनाओं की कद्र नहीं होती ऐसे देश में लूटपाट, चोरबाजारी, भ्रष्टाचार, दूसरे का गला काटना आदि रोजमर्रा की बात हो जाती है



'अन्धेर नगरी चौपट राजा' हिन्दी के सुप्रसिद्ध साहित्यकार भारतेन्दु हरिश्चन्द्र का सर्वाधिक लोकप्रिय नाटक है छह अंकों के इस नाटक में विवेकहीन और निरंकुश शासन व्यवस्था पर करारा व्यंग्य करते हुए उसे अपने ही कर्मों द्वारा नष्ट होते दिखाया गया है


न्याय व्यवस्था का एक ऐसा चौपट उदाहरण आज हम एक कहानी के माध्यम से देखते हैं, जिसके लेखक का नाम ज्ञात 
नहीं इसमें 'अँधा बाँटे रेवड़ी फिर फिर अपने को देत' वाली बात चरितार्थ होती है यह कथा बताती है कि जिससे स्वार्थ सिद्ध होता है, उसी के पक्ष में न्याय किया जाना चाहिए moral story in hindi कथा आप सबके लिए प्रस्तुत है


कहाँ है न्याय? अंधेर नगरी में किसकी होगी सुनवाई?

अन्धेर नगरी चौपट राजा moral story in hindi

एक बार एक हंस और हंसिनी सुरम्य वातावरण में भटकते हुए, उजड़े वीरान और रेगिस्तान के इलाके में पहुँच जाते हैं। हंसिनी ने हंस से कहा- ये किस उजड़े इलाके में हम आ गये हैं? यहाँ न तो जल है, न जंगल और न ही ठण्डी हवाएँ हैं यहाँ पर हमारा जीना मुश्किल हो जायेगा


moral story in hindi


भटकते-भटकते शाम हो गयी तो हंस ने हंसिनी से कहा- किसी तरह आज की रात इस जंगल में बिता लो, सुबह हम लोग शहर की ओर लौट चलेंगे।


धीरे-धीरे रात घिर आई
। जिस पेड़ के नीचे हंस और हंसिनी रुके थे, उस पर एक उल्लू बैठा हुआ था वह जोर-जोर से चिल्लाने लगा उसकी आवाज सुनकर हंसिनी ने हंस से कहा- अरे! यहाँ तो रात में सो भी नहीं सकते यहाँ पर तो यह उल्लू चिल्ला रहा है।


हंस ने फिर हंसिनी को समझाया- किसी तरह रात काट लो, मुझे अब समझ में आ गया है कि ये इलाका वीरान क्यों है? ऐसे उल्लू जिस इलाके में रहेंगे, वह तो वीरान और उजड़ा हुआ रहेगा ही।


पेड़ पर बैठा उल्लू दोनों की बातें सुन रहा था सुबह हुई, उल्लू नीचे आया और उसने कहा- हंस भाई, मेरी वजह से आप दोनों को रात में तकलीफ हुई, कृपया आप लोग मुझे माफ कर दीजिए।


moral story in hindi


हंस ने कहा- कोई बात नही भैया, आपका धन्यवाद।
यह कहकर जैसे ही हंस अपनी हंसिनी को लेकर आगे बढ़ा पीछे से उल्लू चिल्लाया- अरे! यह हंस मेरी पत्नी को लेकर कहाँ जा रहा है?


हंस चौंका- उसने कहा, आपकी पत्नी? अरे भाई, यह हंसिनी है, मेरी पत्नी है, मेरे साथ आई थी, मेरे साथ जा रही है
उल्लू ने कहा- तुम झूठ बोल रहे हो, खामोश हो जाओ
 ये मेरी पत्नी है।


दोनों के बीच विवाद बहुत बढ़ गया पूरे इलाके के लोग एकत्र हो गये कई गावों की जनता आकर बैठ गई पंचायत बुलाई गयी पंच लोग भी आ गये और बोले- भाई, किस बात का यह विवाद हो रहा है?


लोगों ने बताया कि उल्लू कह रहा है-हंसिनी उसकी पत्नी है और हंस कह रहा है कि हंसिनी उसकी पत्नी है।
लम्बी बैठक और पंचायत के बाद पंच लोग किनारे हो गये और उन्होंने कहा- भाई, बात तो यह सही है कि हंसिनी हंस की ही पत्नी है, लेकिन ये हंस और हंसिनी तो अभी थोड़ी देर में इस गाँव से चले जाएँगे हमारे बीच में तो उल्लू को ही रहना है, इसलिए फैसला उल्लू के ही हक में ही सुनाना चाहिए।


फिर पंचों ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा- सारे तथ्यों और सबूतों की जाँच करने के बाद यह पंचायत इस नतीजे पर पहुँची है कि हंसिनी उल्लू की ही पत्नी है, और हंस को तत्काल गाँव छोड़ने का हुक्म दिया जाता है।


moral story in hindi

यह सुनते ही हंस हैरान हो गया, वह रोने, चीखने और चिल्लाने लगा- पंचायत ने गलत फैसला सुनाया है यह उल्लू मेरी पत्नी पर जबर्दस्ती हक जता रहा है।

रोते-चीखते हुए जब वह आगे बढ़ने लगा तब उल्लू ने हंस को आवाज लगाई- ऐ मित्र हंस, रुको।


हंस ने रोते हुए कहा- भैया, अब क्या करोगे? मेरी पत्नी तो तुमने ले ही ली, अब क्या तुम मेरी जान भी लोगे?
उल्लू ने कहा- नहीं मित्र, ये हंसिनी आपकी पत्नी थी, है और रहेगी लेकिन कल रात जब मैं चिल्ला रहा था, तो आपने अपनी पत्नी से कहा था कि यह इलाका उजड़ा और वीरान इसलिए है, क्योंकि यहाँ उल्लू रहता है मित्र, ये इलाका उजड़ा और वीरान इसलिए नहीं है कि यहाँ उल्लू रहता है, यह इलाका उजड़ा और वीरान इसलिए है, क्योंकि यहाँ पर ऐसे पंच रहते हैं जो उल्लुओं के हक में फैसला सुनाते हैं।


moral story in hindi


इस कथा को यहॉं लिखने का उद्देश्य मात्र इतना है कि शासक को अपने राजधर्म का पालन सदा ईमानदारी और सच्चाई से करना चाहिए उसे नीर-क्षीर विवेकी होना चाहिए दूसरों की बातों में नहीं आना चाहि,ए यानी कान का कच्चा नहीं होना चाहिए। उसके लिए पारदर्शिता का होना बहुत आवश्यक होता है राजा यदि उच्च चरित्रवान होगा, तो प्रजा भी तदनुसार आचरण करेगी, क्योंकि शासक को पितातुल्य माना जाता है उसे अपनी प्रजा के साथ सहृदयता और समानता का व्यवहार करते हुए आदर्श स्थापित करना चाहिए। 


वास्तव में आज के समय में भी "अंधेर नगरी, चौपट राजा" की कहावत हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि अगर समाज और प्रशासन का सही दिशा में नेतृत्व नहीं हो, तो हम किस दिशा में जा रहे हैं। हमें चाहिए कि हम अपने आसपास के सिस्टम को समझें और सुधार की दिशा में कदम उठाएं, ताकि यह कहावत केवल इतिहास तक सीमित रहे, न कि हमारे वर्तमान का हिस्सा बने।

 COMPILED BY - PUJA NANDA

अन्य मज़ेदार और मनोरंजक हिंदी कहानियां



*आखिर फिर एक बार लोमड़ी चली अंगूर खाने। क्या इस बार भी उसे असफलता मिलेगी या फिर इस बार वो प्राप्त कर लेगी अंगूर? पढ़ें एक रोचक hindi kahani -अंगूर अब खट्टे नहीं हैं।


*एक अमीर बिगड़ैल लड़के से जब सब छिन गया, तब उसे इस जीवन का सही अर्थ समझ आया। पढ़ें hindi story असली सबक।

*कभी-कभी जीवन की सबसे कठिन समस्याएँ, जिनका हम समाधान नहीं पा सकते, उन्हीं क्षणों में भगवान किसी रूप में सामने आते हैं। hindi kahani राम जानकी की बेटी

*परम पिता परमात्मा से हम प्रार्थना के माध्यम से बात करते हैं। ईश्वर की प्रार्थना करने से हमारे जीवन में क्या बदलाव आते हैं, आइये पढ़ते हैं एक बहुत सुन्दर लेख prarthana में।

* यह hindi story एक छोटी सी मैना और कुछ अभिमानी कौओं की है, जो ईश्वर पर विश्वास और दया की शक्ति को उजागर करती है। पढ़िए Hindi story ईश्वर की कृपा: असहाय जीव को मिलती है सुरक्षा

सभी Hindi Stories पढ़ने के लिए यहाँ Click करें !

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.