हर व्यक्ति अपने जीवन में मार्गदर्शन और आशीर्वाद की तलाश करता है। कभी-कभी, सच्चे गुरु के एक छोटे से वचन में भी अद्भुत शक्ति छिपी होती है। यह कहानी आपको बताएगी कि कैसे गुरु का आशीर्वाद और उनके वचन किसी की ज़िंदगी पूरी तरह बदल सकते हैं। यह प्रेरणादायक हिंदी कहानी “गुरु वचन का चमत्कार” एक सेवक और उसके गुरु के आशीर्वाद की अद्भुत शक्ति को दर्शाती है। यह कहानी हमें विश्वास और श्रद्धा का सच्चा अर्थ सिखाती है। कहानी में आपको विश्वास, श्रद्धा और गुरु की कृपा की ताकत का अनोखा अनुभव मिलेगा।
Hindi short story with moral गुरु वचन का चमत्कार

गुरु और सेवकों का शान्ति निवास - गुरु का आश्रम
प्राचीन भारत की बात है, एक संत के आश्रम में उनके साथ उनके तीस सेवक रहा करते थे। उन्होंने सांसारिक सुखों को त्याग कर अपना जीवन गुरु की सेवा में लगा दिया था। सभी अपने गुरु की आज्ञा का पालन करते और प्रेमपूर्वक सेवा करते थे।
उन्हीं में से एक सेवक ने एक दिन नम्रता से कहा - गुरुजी, मेरी बहन की शादी का दिन पास आ रहा है। अब केवल एक महीना ही बाकी है। मेरे माता-पिता को इस समय मेरी आवश्यकता है। मैं कुछ दिनों के लिए गाँव जाना चाहता हूँ। कृपया आप मुझे अपने कर्तव्य निर्वाह हेतु जाने की आज्ञा दें।
गुरु जी ने कहा, तुम्हें आज्ञा है बेटा, निश्चित समय पर तुम अवश्य ही चले जाना।
आप भी चलें तो मेरा सौभाग्य होगा। - वह शिष्य विनीत स्वर में बोला।
गुरु मुस्कराए और बोले— बेटा, यह तो समय ही बताएगा कि मैं जा पाऊंगा या नहीं । परन्तु तुम निश्चिन्त होकर जाना। ईश्वर की कृपा से तुम्हारी बहन का विवाह निर्विघ्न हो जाएगा।
सेवक के मन में यह उम्मीद थी कि गुरु कुछ आर्थिक मदद अवश्य करेंगे। जब विवाह का दिन करीब आया, तो उसने फिर निवेदन किया - गुरुदेव, कल मुझे निकलना है।
आश्रम के सभी सेवकों ने मार्ग के लिए आवश्यक वस्तुओं व भोजन आदि का प्रबंध करने में सहायता की। सुबह जब सेवक जाने लगा, तो गुरु ने उसे पाँच किलो अनार और दो साथी सेवक देकर कहा - जाओ, भगवान तुम्हारी बहन का विवाह ऐसे कराएंगे कि लोग बरसों तक याद रखेंगे। परन्तु यह जो अनार मैंने तुम्हें दिए हैं, इन्हें रास्ते में बिल्कुल भी नहीं खाना। हां, अपने गांव पहुंच कर तुम अपनी बुद्धि के अनुसार इनका यथायोग्य उपयोग करने के लिए स्वतंत्र हो।
अद्भुत संयोग
तीनों सेवक यात्रा पर निकले। परन्तु उस सेवक के मन में बहुत निराशा थी कि वह बहन के विवाह के लिए कुछ धन नहीं जुटा पाया। रास्ते भर वह यही सोचता रहा कि माता-पिता को अवश्य ही उससे कुछ आर्थिक सहयोग की आशा होगी, परन्तु वह तो खाली हाथ ही जा रहा है। उसने यह भी सोचा कि गुरुजी को तो पता था कि हमारे पास धन नहीं है, फिर भी उन्होंने बस अनार ही क्यों दिए?
इसी उहापोह के साथ कुछ दिनों बाद वह अपने साथी सेवकों के साथ अपने गाँव पहुँचा। वह इलाका रेतीला था, जहाँ खेती-बाड़ी मुश्किल से होती थी।
उस समय उस राज्य के राजा की बेटी गंभीर रूप से बीमार थी और काफी इलाज के बाद भी ठीक नहीं हो पा रही थी। रोग के लक्षण ठीक से पकड़ में नहीं आ रहे थे, इस लिए राजवैद्य भी ठीक से इलाज नहीं कर पा रहे थे।
अंततः राजवैद्य ने यह बताया कि राजकुमारी को एक गंभीर विचित्र प्रकार का संक्रमण हुआ है, जिसकी दवा तैयार करने के लिए विभिन्न जडी़-बूटियों के साथ अनार के फलों की तुरंत आवश्यकता है।
अन्य सब जडी़ बूटियां तो सहज रूप से उपलब्ध थी परन्तु अनार नहीं। तब राजा ने मुनादी करवा दी कि जो कोई अनार लेकर आएगा, उसे बड़ा इनाम दिया जाएगा!

जब मुनादी उन सेवकों के कानों में पहुँची, तो उस सेवक को अपने गुरु का कथन याद आया कि वह अपनी बुद्धि के अनुसार इनका यथायोग्य उपयोग करने के लिए स्वतंत्र है। उन्होंने तुरंत राजा के दूत को बताया कि उनके पास अनार हैं। वे महल पहुँचे और अनार राजवैद्य को दे दिए। रस निकालकर दवा बनाकर राजकुमारी को दी गई।
दवा लेने के कुछ ही क्षणों के अंदर राजकुमारी में रोग से लाभ के लक्षण दिखने लगे। कुछ ही दिनों में वह चमत्कारिक रूप से ठीक हो गई।
गुरु वचन हुए सत्य
राजा अत्यंत प्रसन्न हुए और उन्होंने सारी पड़ताल करवाई कि वे लोग जिन्होंने अनार दिये, वे कौन हैं और इतनी शीघ्रता से अनारों का प्रबंध कैसे कर लिया?
सेवक ने सच्चाई बताई कि वे एक संत के सेवक हैं, और ये अनार उन्हें गुरुजी ने आशीर्वादस्वरूप दिए थे। सेवक ने यह भी बताया कि वह अपनी बहन की शादी के लिए यहां अपने साथियों के साथ आया है।

राजमहल में भव्य विवाह का आयोजन हुआ। सोने-चाँदी के गहने, उपहार, भूमि, मकान, और धन का अंबार लगा दिया गया। विवाह इतना भव्य हुआ कि लोगों ने कहा - ऐसा विवाह तो राजा की बेटी का भी न हुआ होगा!
कहानी का संदेश
वापस लौटते समय सेवक की आँखों में आँसू थे। उसने सोचा,- सच कहा था गुरुजी ने… गुरु वचन कभी व्यर्थ नहीं जाते। हम तो संदेह कर बैठे थे, पर उनका आशीर्वाद ही सब कुछ बदल गया।
संतों के वचनों में असीम शक्ति होती है।
विश्वास और श्रद्धा के साथ जो उनके आदेश का पालन करता है, उसके जीवन में कभी अभाव नहीं रहता।
गुरु की कृपा से असंभव भी संभव हो जाता है। सच्चे गुरु के वचन ईश्वर की वाणी के समान होते हैं। उन पर अटूट विश्वास ही जीवन का सबसे बड़ा आशीर्वाद है।
FAQ – गुरु वचन का चमत्कार | Hindi Short Story with Moral
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