Romantic Story in Hindi क्या बस स्टॉप पर शुरू हुआ प्यार आखिरी मंज़िल तक पंहुचा ?

कभी-कभी ज़िंदगी हमें वहीं मिला देती है, जहाँ हम सबसे कम उम्मीद रखते हैं। प्यार का रिश्ता बड़े-बड़े इज़हार या शाही दावतों से नहीं, बल्कि रोज़मर्रा की छोटी-छोटी मुलाक़ातों से भी जन्म ले सकता है। यह Romantic Story in Hindi भी कुछ ऐसी ही है, जहाँ हर दिन बस स्टॉप पर बिताए गए सिर्फ़ दस मिनट आरव के दिल में हलचल मचा गए। लेकिन क्या हुआ उसके प्यार का अंजाम ?

Romantic Story in Hindi पहली नज़र का प्यार

बस स्टॉप पर आरव और नैना की पहली मुलाक़ात का रोमांटिक दृश्य, जहाँ रोज़ के दस मिनट ने उनके दिलों को जोड़ दिया।
 
पहली नज़र का प्यार - बस स्टॉप पर बिताए गए वे दस मिनट, जिन्होंने आरव के दिल में एक अनजान लड़की के लिए प्यार जगा दिया।

मुलाक़ात की शुरुआत

आरव हर रोज़ सुबह ऑफिस जाने के लिए जिस बस स्टॉप पर खड़ा होता था, वहां पर कम से कम दस-पंद्रह मिनट लग ही जाते बस के आने में। उसका दिन लंबा और थकान भरा होता, लेकिन बस का इंतज़ार करते समय का वो छोटा सा ठहराव उसके लिए राहत का काम करता था।


एक दिन उसने देखा—एक लड़की उसी बस स्टॉप पर आकर खड़ी हो गई। साधारण सलवार-कमीज़, हाथ में किताब, कंधे पर एक काॅलेज बैग, और चेहरे पर अजीब सी शांति। उसके चेहरे में ऐसा आकर्षण था कि पहली बार में ही आरव की नज़र उसके चेहरे से हट नहीं रही थी...

उसने पहले कभी उसे इस स्टॉप पर नहीं देखा था। इतने में बस आ गई और वह आरव के आगे से निकल कर बस में चढ़ गयी। एक सौम्य खुशबू आरव की नाक से टकराईं, जो कि शायद उसी लड़की के परफ्यूम की थी।

आरव जैसे नींद से जागा और फटाफट बस की ओर लपका। आज यह पहली बार हुआ था कि बस में चढ़ने के लिए वह सब से आगे खड़ा होकर भी सबसे बाद में चढ़ा था।

अनजाने एहसास

आरव और उस लड़की की बस का समय एक ही था। शुरू-शुरू में वह कभी समय पर आती,तो कभी नहीं आती, शायद देर से जाती हो या फिर ना भी जाती हो, आरव को कोई फर्क नहीं पड़ता था।


लेकिन फिर धीरे-धीरे फर्क पड़ने लगा। आरव का मन चाहता कि उसे एक बार तो जरूर देख लें। आरव अब बिल्कुल भी देरी से नहीं जाता, बल्कि थोड़ी जल्दी ही पहुंच जाता। और अगर समय से पहले वाली बस आ जाती तो वह छोड़ देता और वहीं बस स्टॉप पर अगली बस और उस लड़की का इंतजार करता।


अपने मन की हालत से वह अनजान नहीं था, चाहता था कि इतना उस लड़की से न जुड़े, लेकिन पता नहीं क्यों, जैसा वह उस अनजान लड़की के लिए महसूस करता था, वैसा उसने और कभी किसी लड़की के लिए महसूस नहीं किया था।

बेचैनी और मोहब्बत का एहसास

कुछ दिन ऐसे ही चलता रहा। फर्क यह आया था कि अब वह भी रोज़ नियत समय पर आने लगी। वह अब आरव को अपने सहयात्री के रुप में पहचानती थी। लेकिन उसके मन में आरव के लिए कुछ है, ऐसा संकेत आरव को नहीं मिला था। हालाँकि आरव हमेशा उसे देखने के लिए बेचैन रहता।

यह सिलसिला यहीं पर नहीं रुका। अब आरव की बेचैनी इतनी बढ़ गई थी कि छुट्टी वाले दिन जब उस लड़की को नहीं देख पाता तो पागल सा हो जाता था। पहले छुट्टी के दिन बाहर कहीं घूमने निकल जाता करता था लेकिन अब दिन भर अपने फ्लैट में ही बंद रहता।


वह यह तो समझ ही गया था कि उसे उस अनजान लड़की से प्यार हो गया था, जिसका वह नाम तक नहीं जानता था। यह सोच कर उसकी बेचैनी और भी बढ़ जाती कि कहीं अगर उसके दिल में किसी और के लिए प्यार हुआ तो? किसी लड़की पर जबरदस्ती अपने आप को थोप देने के पक्ष में वह नहीं था। इसी लिए उसने अभी तक किसी भी तरह की बात-चीत की शुरुआत भी  नहीं करनी चाही थी।

डर, साहस और वह छोटी-सी घटना

ऐसे ही एक दिन जब आरव पैदल चलता हुआ बस स्टॉप की तरफ जा रहा था तो दूर से ही उसने देखा, बस स्टॉप से कुछ ही पहले वह वहां खडी़ थी। आरव के मन में एक साथ कई शंकाएं घूम गई। आज ये बस स्टॉप से पहले क्यों खड़ी है? क्या किसी का इंतजार कर रही है? बस स्टॉप पर नहीं खड़ी, मतलब बस में नहीं जाना। तो क्या कोई लेने आने वाला है? ऐसे तो यह किसी के भी साथ नहीं जाएगी। कोई गहरी जान-पहचान वाला ही होगा। कौन हो सकता है? 


इस सब उधेड़बुन के साथ अब आरव उसके पास पहुंच गया। लेकिन जब उसका चेहरा देखा तो वह कुछ और ही कहानी कह रहा था। वह बहुत घबराई हुई थी। उसकी ऐसी हालत देख कर आरव के मुंह से स्वयं ही निकल गया - क्या हुआ? कोई परेशानी है? यहां क्यों खड़ी हो आप?


जबकि आरव को देख कर उसकी मानो जान में जान आई। वह बोली - वो.. मैं यूं ही खडी़ थी... बस.... जा ही रही थी...।


लेकिन आरव समझ चुका था कि कोई तो बात है। फिर उसने बस स्टॉप की ओर देखा तो उसे सारी बात समझ में आ गई। वहां मनचले युवकों का एक झुंड खडा़ था। देखने में ही वे गुंडे मवाली लग रहे थे। जोर जोर से हंस रहे थे, तो कुछ सिगरेट का धुआं उड़ा रहे थे। उन्हीं से डर कर वह वहां खड़ी हुई थी।


आरव ने उससे पूछा - बस लेनी है आपने? बदले में वह जल्दी से सिर हिला कर घबराई हुई आवाज़ में बोली - हां...जाना है, मेरा पेपर है आज।

अब वह आरव के साथ चलते हुए बस स्टॉप पर पहुंची, मनचले युवकों ने एक उड़ती ही नज़र उन दोनो पर डाली और फिर से अपनी बातों में मशगूल हो गए।


बस आई, वो सारे युवक बस में चढ़ गए। उस लड़की ने भी बस में चढ़ने के इरादे से एक कदम आगे बढा़या , लेकिन आरव को अपनी जगह से न हिलते देख वह भी वही वापिस उसके साथ ही खड़ी हो गई।


अगली बस ले लेंगे। देर तो नहीं हो जाएगी आपको?- आरव ने पूछा।
अपनी कलाई पर बंधी घड़ी पर नज़र डाल कर वह बोली - नहीं....अभी टाइम है।

फिर वे दोनों चुपचाप खडे़े बस का इंतजार करने लगे। आरव ने उससे कोई बात करने का प्रयास नहीं किया, हालांकि उसको देख कर यह साफ कहा जा सकता था कि अब वह सामान्य हो चुकी थी और आरव के साथ स्वयं को सुरक्षित महसूस कर रही थी।


अगली बस आई और आरव ने उसे चलने का इशारा किया। अब वह इस तरह से चल रही थी मानो वह आरव के साथ ही आई हो।

हल्की मुस्कुराहटों का रिश्ता

इस घटना के बाद अब उनमें औपचारिक अभिवादन होने लगा था। उसका नाम भी आरव को पता चल गया था - नैना। वे एक-दूसरे से बातें नहीं करते, बस नज़रों और हल्की मुस्कुराहटों का आदान-प्रदान होता।


कुछ दिन ऐसे ही चलता रहा। दोनों एक ही बस से जाते, मुस्कुरा कर एक दूसरे का अभिवादन करते, आरव का उसके आस-पास बने रहना नैना को खलता नहीं था। कभी-कभी किसी एक के पास खुले पैसे न हो तो एक दूसरे की टिकट ले लेते। एक सीट पर भी साथ बैठ जाते, ओके..... थैंक्स....हां.... नहीं नहीं....बस इतनी ही बात होती। फिर आरव का स्टॉप आ जाता तो वह एक औपचारिक सी मुस्कान के रूप में सिर हिला कर बाय कर देता और उतर जाता। नैना कहां तक जाती थी, ये आरव नहीं जानता था। इस तरह दोनों अपनी अपनी मंजिल की ओर बढ़ जाते।

आरव के मन में तो नैना के लिए तीव्र भावनाएं थी, लेकिन कभी नैना की तरफ से उसे कोई संकेत नहीं मिला था। आरव को उसकी नज़रों में अपने लिए सम्मान दिखता था, इसके अलावा कुछ नहीं।

टूटता हुआ सपना

एक दिन ऐसे ही दोनों बस स्टॉप पर खड़े बस का इंतजार कर रहे थे कि एक लड़का मोटरसाइकिल पर वहां आया। नैना ने जैसे ही उसे देखा, वह दौड़ कर उससे मिलने पहुंची। नैना उसे मिलकर बहुत खुश थी, उसके बात करने के अन्दाज से यह साफ दिखाई दे रहा था। वह लड़का भी बहुत आत्मीयता से नैना से बातें कर रहा था।


आरव का दिल जोर-जोर से धड़कने लगा। कौन है यह? कौन हो सकता है? ओह.....यह उसका ब्वायफ़्रेंड ही होगा, तभी इसको मुझमें कोई रुचि नहीं।


उधर नैना और वह लड़का इस तरह से बातें करने में व्यस्त थे कि मानों वे चाह रहे हों कि दुनिया जहान की बातें आज ही कर डालेंगे। 

इधर आरव पर मानो वज्रपात हुआ था। उसका दिल टूट गया था। दोनों आंखों से आंसू निकल आए जिन्हें वह जल्दी से पोंछ कर बस में जा चढ़ा। उसने नैना का इंतजार नहीं किया। बस में कुछ आगे जाकर एक सीट पर जा बैठा, खिड़की से बाहर देखा तो नैना उस मोटरसाइकिल वाले के पीछे बैठ कर जा रही थी।


अब आरव को पक्का यकीन हो गया था कि नैना उस लड़के से प्यार करती थी। आरव के पैरों तले की जमीन हिल गई थी।आस पास क्या हो रहा था, उसे कुछ नहीं पता चल रहा था, दिमाग एकदम सुन्न हो गया था। पल भर में सारे सपने, सब आशाएं खत्म हो गई थी।


अब आरव जहां से चढ़ा, उससे अगले स्टॉप पर ही उतर गया। बेसुध सा पैदल ही सड़क के किनारे किनारे वापसी की ओर चल पड़ा। जिसकी एक झलक पाने को वह बेचैन रहता था, उसने तो उसकी तरफ़ मुड़ कर देखा भी नहीं। 


वह नहीं जानता, कैसे अपने फ्लैट पर पहुंच गया। कब दिन गुजरा कब रात हुई, कुछ खबर नहीं। हाल बंद से बद्तर हो रहा था।

दफ्तर से एक हफ्ते की छुट्टी ले ली। न कहीं आना ना जाना बस कमरे में सारा दिन ओंधे मुंह बिस्तर में पडा़ रहता।

समय का मरहम

दोस्तों के फोन नहीं उठाए तो वे फ्लैट पर  आ धमके। सारा मामला जान कर उसकी तकलीफ़ कम करने के लिए जो हो पाया, किया। जिस्म के बीमार की तो कोई दवा हो भी, दिल के बीमार को वक्त ही ठीक कर सकता है।


आफिस जाना भी शुरू किया, लेकिन उसी बस और उसी रास्ते से नहीं, बल्कि दूसरे रास्ते से, वो भी अपनी बाईक पर।

अपने आप को बहुत समझाया, गलती खुद की ही थी। किसी के बारे में बिना कुछ जाने, बिना उसे पहचाने ख्वाब बुनने में जोखिम तो होता ही है। हर किसी की अपनी जिंदगी है। नैना को किसी और से प्यार है तो है। उसकी जिंदगी में आरव से पहले ही अगर कोई आ चुका था तो इसमें किस को दोष दे सकते हैं? क्या पता वह लड़का उसका बचपन का प्यार था, स्कूल वाला प्यार था, मोहल्ले वाला प्यार था या फिर कॉलेज वाला?


अगर इतनी सारी संभावनाओं के आगे उसका बस स्टॉप वाला प्यार फल-फूल ना पाया तो क्या ही हैरानी वाली बात हुई? मन बहुत करता था कि नैना को एक नज़र देख ले, लेकिन उस एक झलक के बाद उसको कौन संभालेगा, यह सोच कर सभी दोस्तों ने उसको अपनी दोस्ती की कसम दे कर इस बात पर टिकाया हुआ था कि वह अब उस रास्ते नहीं जाएगा।

अचानक मुलाक़ात

इस बात को एक महीना बीत चुका था। रविवार का दिन था। दोस्तों के साथ कुछ समय बिताने और बाहर कहीं जा कर मौज-मस्ती करने का तय था। सुबह का वक्त था। आरव तैयार होकर बस निकलने ही वाला था कि दरवाजे पर दस्तक हुई।


दरवाज़ा ‌खोला तो आरव की हैरानी की सीमा न रही। सामने नैना खडी़ थी।

अरे....आप....? आरव के मुंह से निकला। आप यहां कैसे?
अंदर नहीं बुलाओगे? .... नैना ने झिझकते हुए कहा।
हां.....हां....आइए....कह कर आरव एक ओर हटा और नैना को अंदर आने का रास्ता दिया।

नैना संकोच भरे कदमों से अंदर आई और आरव ने उसे सोफे पर बैठने का इशारा किया और खुद उसके सामने वाले सोफे पर बैठ गया।

अं....आपको......मेरे घर का.....मतलब यहां का पता कैसे मिला? आरव ने चुप्पी तोड़ी।

नैना ने आरव की तरफ जिस कातर नज़र से देखा, आरव एकदम सकपका गया और जल्दी से बोला, - पानी.... पानी लोगी आप.....?

नैना ने ना में सिर हिलाया और संकोच से गर्दन घुमाकर इधर उधर देखा और बोली, - घर पर और कोई नहीं है?

मैं यहां अकेला ही रहता हूं।
आपके मां - पिताजी? नैना ने झिझकते हुए पूछा।

अब आरव कुछ सामान्य हो गया था। वह स्थिर स्वर में एक हल्की मुस्कान के साथ बोला, - वो मेरे साथ नहीं रहते। मुझे नौकरी के कारण यहां आना पड़ा, लेकिन उन्हें यहां का भाग-दौड़ वाला जीवन पसंद नहीं है। आते हैं कभी कभी, कुछ दिन बिता कर चले जाते हैं।


यह जान कर कि घर में कोई नहीं है, नैना कुछ सामान्य हुई।

तो आप यहां अकेले ही रहते हैं? नैना ने शंका भरे स्वर में पूछा।
हां......अभी तक तो अकेला ही हूं, जब तक शादी नहीं हो जाती।
शादी.....एंगेजमेंट हो गई..... आपकी? नैना ने फिर पूछा
कोई अच्छी लड़की मिलेगी तो वो भी हो जाएगी.... आरव धीमी हंसी के साथ बोला। आपने बताया नहीं......आपको यहां का पता कैसे मिला?

वो....एक दिन देखा था मैंने आपको, .....आपके आफिस की बिल्डिंग में जाते हुए। उसी बिल्डिंग में मेरी एक दोस्त का‌ भी आफिस है। बस.... उसी ने पता लगाया.....आपका घर।


यह कह कर नैना चुप हो गई। आरव भी कुछ नहीं बोला।

वो तीन जादुई शब्द

तभी नैना एक दम खडी़ हुई और बोली, अच्छा.... मैं चलती हूं।


आरव बोला.....आप आईं .... कुछ काम था.....?
अब नैना की आंखों से आंसू निकल आए......रोते रोते वह बोल रही थी.....आप ने अचानक आना बंद कर दिया.... क्यों नहीं आ रहे थे.....ये भी नहीं पता था मुझे?... किससे पूछती?... कितने दिन इंतजार किया आपका.... इसके आगे नैना कुछ भी न बोल पाई......।

मेरा इंतजार......अब आरव के दिल की धड़कन तेज हो गई..... क्यों?

लेकिन नैना ने कोई जवाब नहीं दिया और मुड़ कर जाने लगी तो आरव ने बढ़ कर उसका हाथ पकड़ लिया और उसे  बिल्कुल अपने पास खींच लिया, अपनी जेब से रुमाल निकाल कर उसके आंसू पोंछे और उससे पूछा,- डू यू लव मी?

नैना ने एक नज़र उठा कर आरव की ओर देखा और बिना कोई जवाब दिए पलकें झुका लीं। अभी भी उसकी आँखों से आंसू बह रहे थे। 

आरव उन तीन जादुई शब्दों की उपेक्षा नैना से इतनी जल्दी नहीं कर रहा था, लेकिन नैना का इस तरह से उसका इंतजार करना, उसके घर आ जाना, उसके बहते हुए आंसू, उसके इतने करीब खडे़े होने पर भी दूर जाने की कोशिश न करना, ये सब काफी था यह बताने के लिए कि नैना भी उससे प्यार करती है। वो मोटरसाइकिल वाला लड़का कोई भी था, लेकिन कम से कम वह वो नहीं, जिससे नैना प्यार करती है। नैना की खामोशी ने कुछ न कह कर भी सब कुछ कह दिया था।


और फिर आरव ने नैना को गले लगा लिया और धीरे से उस के कान में बोला , - आई लव यू....टू! यह कह कर उसने अपने प्यार की मोहर के रूप में एक चुम्बन नैना के माथे पर अंकित कर दिया। 

आरव और नैना का भावनात्मक आलिंगन, जहाँ खामोशी में भी इज़हार-ए-मोहब्बत झलकता है।
जब शब्द कम पड़ गए, नैना की खामोशी ने सब कुछ कह दिया - आरव ने उसे अपने सीने से लगा लिया।


तो दोस्तों , प्यार कभी भी, कहीं भी मिल सकता है - बस ज़रूरत होती है एक सच्चे दिल की।

आरव और नैना की Romantic Story in Hindi यही सिखाती है कि इज़हार करने में देर हो सकती है, मगर जब भावनाएँ सच्ची हों, तो किस्मत खुद रास्ता बना देती है।

बस स्टॉप पर शुरू हुई वह दस मिनट की कहानी शायद छोटी थी, लेकिन उन्हीं दस मिनटों में दो ज़िंदगियाँ हमेशा के लिए एक-दूसरे से जुड़ गईं।

कभी-कभी प्यार की सबसे खूबसूरत परिभाषा वही होती है - बिना कहे भी सब कुछ कह जाना।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQ) Romantic Story in Hindi

Q. क्या यह Romantic Story in Hindi सच्ची घटना पर आधारित है?
A. यह कहानी काल्पनिक है, लेकिन इसमें दिखाई गई भावनाएँ बेहद सच्ची और यथार्थ से जुड़ी हैं - जैसे रोज़मर्रा की ज़िंदगी में मिलने वाले दो अनजान दिलों की धड़कनें।


Q. क्या आरव और नैना आखिर में एक-दूसरे से मिले?
A. हाँ, कहानी के अंत में दोनों की मुलाक़ात फिर से होती है - जहाँ खामोशी में भी मोहब्बत की गहराई महसूस होती है।


Q. इस Romantic Story in Hindi की खासियत क्या है?
A. इसकी खासियत है इसका simplicity और emotional depth - एक छोटी सी रोज़ की मुलाक़ात जो एक सच्चे एहसास में बदल जाती है।



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